Friday, December 17, 2010

किसी की ज़िन्दगी की बहुत बड़ी खुशी हो आप

निगाहें रहती हैं किसी के इंतज़ार में,
दिल धड़कता है इक अंजाने के प्यार में,
कितना हसीन होगा वो दिन जब दीदार उनका होगा,
किसी न किसी को तो इंतजार मेरा भी होगा।

मयखाने में जाम टूट जाता है,
ईश्क में दिल टूट जाता है,
जाने क्या रिश्ता है दोनों में,
जाम टूटे तो ईश्क याद आता है,
दिल टूटे तो जाम याद आता है।

माना के मेरे इश्क में दर्द नहीं था,
पर दिल मेरा बेदर्द नहीं था।
होती थी मेरी आँखों से आंसु की बरसात,
पर उनके लिए आंसु और पानी में कोई फर्क नहीं था।

उदास लम्हों की कोई याद न रखना,
तुफां में भी अपना वजूद सम्भाल कर रखना
किसी की ज़िन्दगी की बहुत बड़ी खुशी हो आप
उसी के लिए हमेशा अपना ख्याल रखना।

बात ऐसी हो कि जजबात कम न हों,
ख्यालात ऐसे हों कि कभी गम न हों,
दिल के कोने में इतनी सी जगह रखना,
के खाली-खाली सा लगे जब हम न हों।

ज़ुबां तो बन्द है फिर भी हम बात करते हैं,
दूर रहकर भी सदा तेरे पास रहते हैं,
आँखोँ से बहे अश्क तो दिल ये कहता है,
तूं न रोना फिर कभी, तेरे साथ हम रहते हैं।

नाराज़ होना आपसे, गलती कहलायेगी,
अगर आप हमसे नाराज़ हो गये तो....
ये सांसे थम जायेंगी
हंसते रहना हमेशा
आपकी हंसी से हमारी
जिन्दगी संवर जायेगी।

आप हर मंजिल को मुश्किल समझते हैं,
हम आपको मंजिल समझते हैं
बड़ा फर्क है आपके और हमारे नज़रिये में
आप हमें सपने और हम आपको अपने समझते हैं।

आप नहीं तो ज़िन्दगी में क्या रह जायेगा,
दूर तक तन्हाईयों का सिलसिला रह जायेगा
हर कदम पर साथ चलना मेरे दोस्त
वरना आपका ये दोस्त तन्हा रह जायेगा।

आपको दिल में बसाए रखता हूं,
और दुनियाँ को भुलाए रखता हूँ,
आपको मेरी नज़र न लग जाए,
इस लिए नज़रे झुकाए रखता हूं।

सारी उम्र आँखों में एक सपना याद रहेगा
ज़िन्दगी बीत जायेगी वो लम्हा याद रहेगा
जाने क्या बात ठीक उन दोस्तों में
महफिल भूल जाय6गें बस वो दोसताना याद रहेगा।

तकदीर ने चाहा तकदीर ने बताया
तकदीर ने आपको और हमको मिलाया
खुशनसीब थे हम या वो पल
जब आप सा अनमोल दोस्त
इस जिन्दगी में आया

कभी खामोशी भी बहुत कुछ कहाँ जाती है
तड़फने के लिए सिर्फ याद रह जाती है
क्या फर्क पड़ता है दिल हो या कागज़
जलने के बाद तो सिर्फ राख रह जाती है।

इश्क ने इंसान को क्या से क्या बना दिया
किसी को कवि तो किसी को कातिल बना दिया
दो फूलों को भी ना उठा सकती ठीक मुमताज
और शांहजां ने उस पर ताजमहल बना दिया।

हौंठों पे दिल के तराने नहीं आते
साहिल पे समन्दर के फसाने नहीं आते
नींद में भी खुल जाती हैं पलकें
आँखों को ख्वाब छुपाने नहीं आते।

फिज़ा पर असर हवाओं का होता है
मुहब्बत पर असर अदाओं का होता है
कोई ऐसे ही किसी का दिवाना नहीं होता
कुछ तो कसूर निगाहों का होता है।

देखो तो ख्वाब है ज़िन्दगी,
पढ़ो तो किताब है ज़िन्दगी।
सुनो तो ज्ञान है ज़िन्दगी,
हंसते रहो तो आसान है ज़िन्दगी,
और प्यार से जीने का नाम है ज़िन्दगी।

कोई है जो दुआ करता है,
अपनों में हमें भी गिना करता है।
बहुत खुशनसीब समझते हैं हम खुद को,
दूर रहकर भी जब कोई याद किया करता है।

मेरे दिल की किताब को पढ़ना कभी,
सपनों में आके मुझसे मिलना कभी।
मैंने दुनियाँ सजाई है तेरे लिए,
मेरी नज़रों की उम्मीद बनना कभी।

बहुत दूर है सितारों से रोशन जहां,
जरा हम कदम बन के मेरे साथ चलना कभी।
बहुत नाज़ुक सीने में दिल है मेरा,
तुम अन्दाज़-ए-मुहब्बत बनके धड़कना कभी।

रात होगी तो चाँद दिखाई देगा,
ख्वाबों में आपको मेरा ही चेहरा दिखाई देगा।
ये मुहब्बत है जरा सोच कर करना,
एक आँसु भी गिरा तो सुनाई देगा।

मिले हर जन्म में आप सा यार,
दुआ करते हैं रब से बार-बार,
चाहे क्यों न ठुकरा दे हमें ये दुनियां,
पर मिलता रहे आप जैसे दोस्तों का प्यार।

दोस्त का प्यार किसी दुआ से कम नहीं होता,
दोस्त चाहे कितनी भी दूर हो गम नहीं होता,
प्यार में अक्सर दोस्ती कम हो जाती है,
पर दोस्ती में प्यार कभी कम नहीं होता।

आप नहीं तो जिन्दगी में क्या रह जायेगा,
दूर तक तन्हाईयों का सिलसिला रह जायेगा,
हर कदम पर मेरे साथ चलना दोस्त,
वरना आपका ये दोस्त तन्हा रह जायेगा।

बहते अश्कों की ज़ुबान नहीं होती,

लफ़्ज़ों में मोहब्बत बयां नहीं होती,

मिले जो प्यार, तो कदर करना,

किस्मत हर किसी पर मेहरबां नहीं होती।

संतोष का पुरस्कार

आसफउद्दौला नेक बादशाह था। जो भी उसके सामने हाथ फैलाता, वह उसकी झोली भर देता था। एक दिन उसने एक फकीर को गाते सुना- जिसको न दे मौला उसे दे आसफउद्दौला। बादशाह खुश हुआ। उसने फकीर को बुलाकर एक बड़ा तरबूज दिया। फकीर ने तरबूज ले लिया, मगर वह दुखी था। उसने सोचा- तरबूज तो कहीं भी मिल जाएगा। बादशाह को कुछ मूल्यवान चीज देनी चाहिए थी।
थोड़ी देर बाद एक और फकीर गाता हुआ बादशाह के पास से गुजरा। उसके बोल थे- मौला दिलवाए तो मिल जाए, मौला दिलवाए तो मिल जाए। आसफउद्दौला को अच्छा नहीं लगा। उसने फकीर को बेमन से दो आने दिए। फकीर ने दो आने लिए और झूमता हुआ चल दिया। दोनों फकीरों की रास्ते में भेंट हुई। उन्होंने एक दूसरे से पूछा, 'बादशाह ने क्या दिया?' पहले ने निराश स्वर में कहा,' सिर्फ यह तरबूज मिला है।' दूसरे ने खुश होकर बताया,' मुझे दो आने मिले हैं।' 'तुम ही फायदे में रहे भाई', पहले फकीर ने कहा।
दूसरा फकीर बोला, 'जो मौला ने दिया ठीक है।' पहले फकीर ने वह तरबूज दूसरे फकीर को दो आने में बेच दिया। दूसरा फकीर तरबूज लेकर बहुत खुश हुआ। वह खुशी-खुशी अपने ठिकाने पहुंचा। उसने तरबूज काटा तो उसकी आंखें फटी रह गईं। उसमें हीरे जवाहरात भरे थे। कुछ दिन बाद पहला फकीर फिर आसफउद्दौला से खैरात मांगने गया। बादशाह ने फकीर को पहचान लिया। वह बोला, 'तुम अब भी मांगते हो? उस दिन तरबूज दिया था वह कैसा निकला?' फकीर ने कहा, 'मैंने उसे दो आने में बेच दिया था।' बादशाह ने कहा, 'भले आदमी उसमें मैंने तुम्हारे लिए हीरे जवाहरात भरे थे, पर तुमने उसे बेच दिया। तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि तुम्हारे पास संतोष नहीं है। अगर तुमने संतोष करना सीखा होता तो तुम्हें वह सब कुछ मिल जाता जो तुमने सोचा भी नहीं था। लेकिन तुम्हें तरबूज से संतोष नहीं हुआ। तुम और की उम्मीद करने लगे। जबकि तुम्हारे बाद आने वाले फकीर को संतोष करने का पुरस्कार मिला।'

Friday, November 26, 2010

पर ये ना सोचना की तेरे लबों को हंसी ना दे सकेंगे

नहीं कहते तुझे हर पल खुशियाँ दे सकेंगे*****

कैसे कहें तेरी पलकों को नमी ना दे सकेंगे*****

ज़िन्दगी में सुख है गर तो दुःख भी आयेंगे*****

पर ये ना सोचना की तेरे लबों को हंसी ना दे सकेंगे*****

यूँ तो हर पल – हर घडी ये ज़िन्दगी कट रही है*****

मौत के आसमां से श्वांसों की घटा छट रही है*****

तुम संग होते तो, लगता के साहिल संग है, वरना*****

जीवन नदी बस कल-आज-कल में कल-कल बह रही है*****

नहीं कहते की इस जीवन नदी को कोई रुख ना दे सकेंगे*****

तुम बनके तो देखो सागर, फिर कैसे ना मिल सकेंगे*****

पर ये ना सोचना की तेरे लबों को हंसी ना दे सकेंगे*****

Saturday, November 13, 2010

मैं पहुँचकर शिखर पर अकेला पड़ गया हूँ माँ

वो प्यार भरी थपकी वो माथे पे चुम्बन तेरा
ऐ माँ अभी तेरी परछाईं मेरी आँखों में बाक़ी है।

वो हर रात सुनाना एक मीठी सी लोरी
उसकी मिठास अब भी मेरी सांसों में बाक़ी है।

वो तेरे होंठों की लम्स तेरे सांसों की खुशबू
ये एह्सास अब भी मेरी यादों में बाक़ी है।

मैं पहुँचकर शिखर पर अकेला पड़ गया हूँ
पर तेरी दुआओं का असर मेरी राहों में बाक़ी है।


ऐ “राज” अब दर्द पाकर मुझे एहसास होता है
तेरी ममता का वो दर्द मेरी आहों में बाक़ी है।


Friday, November 12, 2010

आज का विचार

> दूसरों में आदर्श ढूँढना वक्त की बर्बादी करना है।

>पैसे से खुशियाँ नहीं ख़रीदी जा सकती लेकिन वो बहुत सारी तक़लीफ़ों को कम कर देता है।

>अमीर होते हुए गरीबी का एहसास होना नामुमकिन है, लेकिन गरीब न होते हुए भी गरीबी का एहसास होना मुमकिन है।

>मुझे इस बात पर बहुत कम अफ़सोस हुआ कि मैं मौन क्‍यों रहा, लेकिन इस बात का कई बार अफ़सोस हुआ कि मैं बोला क्‍यों।

>ख़ुद को बदल लेना चाहिए, इससे पहले कि समय आपको बदले।

>गुस्‍से का मतलब है, दूसरों की गलती का अपने से बदला लेना।

>जो लोग सोचते नहीं हैं, वे शोचनीय हो जाते हैं।

>जो समय पर चल पड़ते हैं, उन्‍हें दौड़ना नहीं पड़ता।

>हारना उतना शर्मनाक नहीं होता जितना हार मान लेना।

>सीखने और मरने की कोई उम्र नहीं होती।

>जो लोग शर्तों पर शुरूआत करने की सोचते हैं, वे कभी कोई शुरूआत नहीं कर पाते।

>महत्‍वपूर्ण ये नहीं है कि आपके कितने मित्र हैं, महत्‍वपूर्ण ये है कि आप कितनों के मित्र हैं।

Thursday, November 11, 2010

मतलबी हैं लोग

सबको अपना माना तूने मगर ये न जाना…
मतलबी हैं लोग यहाँ पर मतलबी ज़माना
मतलबी हैं लोग यहाँ पर मतलबी ज़माना
सोचा साया साथ देगा निकला वो भी बेग़ाना
खुशियाँ चुरा के गुज़रे वो दिन
काँटे चुभा के बिछड़े वो दिन
बहते ही आंसू कहने लगे
बहते ही आंसू कहने लगे
ये क्या हुआ ये क्यूँ हुआ कैसे हुआ मैने न जाना
मतलबी हैं लोग यहाँ पर मतलबी ज़माना
आपनो में मैं बेग़ाना बेग़ाना
ज़िन्दा है लेकिन मुर्दा ज़मीं है
जीने के काबिल दुनिया नही है
दुनिया को ठोकर क्यूँ न लगा दूँ
खुद अपनी हस्ती क्यूँ ना मिटा दूँ
जी के यहाँ जी भर गया
दिल अब तौ मरने के ढूडे बहाना
मतलबी हैं लोग यह पर मतलबी ज़माना
सोचा साया साथ देगा निकला वो भी बेग़ाना

माता-पिता

भगवान के दो रूप निराले,
माता-पिता के नाम वाले।
माता-पिता की क्या बटाऊ महिमा,
इनके प्यार की कोई नही सीमा।
माता पिता है क्षमा की मूर्ति,
इनकी कमी की नही करसकता कोइ पूर्ति।
इन्होने की हमारे लिये अपनी खुशियाँ कुर्बन,
हमे ईश्वर के रूप में करना है इनका गुणगान।
अगर हम लैगे जन्म हज़ार,
तब भी नही चुका सकते इनका ऋण अपार।
जिनको मिल माता -पिता के रूप में भगवान,
संसार की खुशनसीब है वो सन्तान।