मत कर तू अभिमान रे बंदे, जूठी तेरी शान रे ।
मत कर तू अभिमान ॥
तेरे जैसे लाखों आये, लाखों इस माटी ने खाए ।
रहा ना नाम निशान रे बंदे, मत कर तू अभिमान ॥
माया का अन्धकार निराला, बाहर उजला अन्दर काला ।
इस को तू पहचान रे बंदे, मत कर तू अभिमान ॥
तेरे पास हैं हीरे मोती, मेरे मन मंदिर में ज्योति ।
कौन हुआ धनवान रे बंदे, मत कर तू अभिमान ॥
No comments:
Post a Comment