Friday, December 24, 2010
ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी
पर इसकी ज़रूरत क्या होगी
ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी , क्या होगी
उसको नहीं देखा हम ने कभी
इंसान तो क्या देवता भी
आँचल में पले तेरे
है स्वर्ग इसी दुनिया में
क़दमों के तले तेरे
ममता ही लुटाये जिसके नयन ओओओओ
ममता ही लुटाये जिसके नयन
ऐसी कोई मूरत क्या होगी
ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी , क्या होगी
उसको नहीं देखा हम ने कभी
क्यूँ धुप जलाये दुखो की
क्यूँ ग़म की घटा बरसे
येः हाथ दुआओं वाले
रहते हैं सदा सर पें
तू है तो अंधेरे पथ में हमें ओओओओ
तू है तो अंधेरे पथ में हमें
सूरज की ज़रूरत क्या होगी
ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी , क्या होगी
उसको नहीं देखा हम ने कभी
कहते हैं तेरी शान में जो
कोई ऊँचे बोल नहीं
भगवान के पास भी माता
तेरे प्यार का मोल नहीं
हम तो येही जाने तुझ से बड़ी ओओओओ
हम तो येही जाने तुझ से बड़ी
संसार की दौलत क्या होगी
ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी , क्या होगी
उसको नहीं देखा हम ने कभी
पर इसकी ज़रूरत क्या होगी
ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी , क्या होगी
उसको नहीं देखा हम ने कभी
पर इसकी ज़रूरत क्या होगी
ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी , क्या होगी
Thursday, December 23, 2010
दुनिया में जीने से ज्यादा उलझन है माँ
ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
हाथों की लकीरें बदल जायेंगी
ग़म की येः जंजीरें पिघल जायेंगी
हो खुदा पे भी असर
तू दुआओं का है घर
मेरी माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
बिगड़ी किस्मत भी संवर जायेगी
जिंदगी तराने खुशी के जायेगी
तेरे होते किसका डर
तू दुआओं का है घर
मेरी माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
यूँ तो मैं सब से न्यारा हूँ
तेरा माँ मैं दुलारा हूँ
यूँ तो मैं सब से न्यारा हूँ
पर तेरा माँ मैं दुलारा हूँ
दुनिया में जीने से ज्यादा उलझन है माँ
तू है अमर का जहान
तू गुस्सा करती है बड़ा अच्छा लगता है
तू कान पकड़ती है बड़ी ज़ोर से लगता है मेरी माँ
मेरी माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
हाथों की लकीरें बदल जायेंगी
ग़म की येः जंजीरें पिघल जायेंगी
हो खुदा पे भी असर
तू दुआओं का है घर
मेरी माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
माँ मेरी तू है महान देवी देवता समान
तेरे पग की धूल मैं ललाट से लगाऊंगा ।
तेरे प्यार की पवित्रता है गंगा के समान ,
जिंदगी भी कम रहेगी मोल जो चुकाऊंगा !
जन्म देती हँसके सारी पीड़ाये सहन करे ,
है ख़ाक मेरी ज़िंदगी जो उसको मैं दुखाऊंगा ।
ठंड बाँट ली थी मेरी , छाती से लगा बदन ,
मैं आज तेरी आरजू को पूरा कर दिखाऊंगा ।
तेरे प्यार की पवित्रता है गंगा के समान ,
जिंदगी भी कम रहेगी मोल जो चुकाऊंगा !
तू न सोई रातभर सुलाया मुझको थपकी मार ,
तेरी लोरी और कहानी भूल मैं न पाउँगा ।
मुझको जब भी कष्ट हुआ तू भी रोई बार बार ,
आज तेरे सारे दुःख मैं हस के झेल जाऊंगा ।
तेरे प्यार की पवित्रता है गंगा के समान ,
जिंदगी भी कम रहेगी मोल जो चुकाऊंगा
ऐ मेरे प्रभु तू देना माँ के गम सभी मुझे ,
मैं अपने सुख से माँ की झोलियों को भरता जाऊंगा ।
और थक जो जाऊँ मैं कभी माँ गोदी मे लेना मुझे ,
हर जन्म - जन्म माँ तेरी ही कोख मे समाऊंगा ।
माँ मेरी तू है महान देवी देवता समान ,
तेरे पग की धूल मैं ललाट से लगाऊंगा ।
तेरे प्यार की पवित्रता है गंगा के समान ,
जिंदगी भी कम रहेगी मोल जो चुकाऊंगा !
Friday, December 17, 2010
किसी की ज़िन्दगी की बहुत बड़ी खुशी हो आप
निगाहें रहती हैं किसी के इंतज़ार में,
दिल धड़कता है इक अंजाने के प्यार में,
कितना हसीन होगा वो दिन जब दीदार उनका होगा,
किसी न किसी को तो इंतजार मेरा भी होगा।
मयखाने में जाम टूट जाता है,
ईश्क में दिल टूट जाता है,
जाने क्या रिश्ता है दोनों में,
जाम टूटे तो ईश्क याद आता है,
दिल टूटे तो जाम याद आता है।
माना के मेरे इश्क में दर्द नहीं था,
पर दिल मेरा बेदर्द नहीं था।
होती थी मेरी आँखों से आंसु की बरसात,
पर उनके लिए आंसु और पानी में कोई फर्क नहीं था।
उदास लम्हों की कोई याद न रखना,
तुफां में भी अपना वजूद सम्भाल कर रखना
किसी की ज़िन्दगी की बहुत बड़ी खुशी हो आप
उसी के लिए हमेशा अपना ख्याल रखना।
बात ऐसी हो कि जजबात कम न हों,
ख्यालात ऐसे हों कि कभी गम न हों,
दिल के कोने में इतनी सी जगह रखना,
के खाली-खाली सा लगे जब हम न हों।
ज़ुबां तो बन्द है फिर भी हम बात करते हैं,
दूर रहकर भी सदा तेरे पास रहते हैं,
आँखोँ से बहे अश्क तो दिल ये कहता है,
तूं न रोना फिर कभी, तेरे साथ हम रहते हैं।
नाराज़ होना आपसे, गलती कहलायेगी,
अगर आप हमसे नाराज़ हो गये तो....
ये सांसे थम जायेंगी
हंसते रहना हमेशा
आपकी हंसी से हमारी
जिन्दगी संवर जायेगी।
आप हर मंजिल को मुश्किल समझते हैं,
हम आपको मंजिल समझते हैं
बड़ा फर्क है आपके और हमारे नज़रिये में
आप हमें सपने और हम आपको अपने समझते हैं।
आप नहीं तो ज़िन्दगी में क्या रह जायेगा,
दूर तक तन्हाईयों का सिलसिला रह जायेगा
हर कदम पर साथ चलना मेरे दोस्त
वरना आपका ये दोस्त तन्हा रह जायेगा।
आपको दिल में बसाए रखता हूं,
और दुनियाँ को भुलाए रखता हूँ,
आपको मेरी नज़र न लग जाए,
इस लिए नज़रे झुकाए रखता हूं।
सारी उम्र आँखों में एक सपना याद रहेगा
ज़िन्दगी बीत जायेगी वो लम्हा याद रहेगा
जाने क्या बात ठीक उन दोस्तों में
महफिल भूल जाय6गें बस वो दोसताना याद रहेगा।
तकदीर ने चाहा तकदीर ने बताया
तकदीर ने आपको और हमको मिलाया
खुशनसीब थे हम या वो पल
जब आप सा अनमोल दोस्त
इस जिन्दगी में आया
कभी खामोशी भी बहुत कुछ कहाँ जाती है
तड़फने के लिए सिर्फ याद रह जाती है
क्या फर्क पड़ता है दिल हो या कागज़
जलने के बाद तो सिर्फ राख रह जाती है।
इश्क ने इंसान को क्या से क्या बना दिया
किसी को कवि तो किसी को कातिल बना दिया
दो फूलों को भी ना उठा सकती ठीक मुमताज
और शांहजां ने उस पर ताजमहल बना दिया।
हौंठों पे दिल के तराने नहीं आते
साहिल पे समन्दर के फसाने नहीं आते
नींद में भी खुल जाती हैं पलकें
आँखों को ख्वाब छुपाने नहीं आते।
फिज़ा पर असर हवाओं का होता है
मुहब्बत पर असर अदाओं का होता है
कोई ऐसे ही किसी का दिवाना नहीं होता
कुछ तो कसूर निगाहों का होता है।
देखो तो ख्वाब है ज़िन्दगी,
पढ़ो तो किताब है ज़िन्दगी।
सुनो तो ज्ञान है ज़िन्दगी,
हंसते रहो तो आसान है ज़िन्दगी,
और प्यार से जीने का नाम है ज़िन्दगी।
कोई है जो दुआ करता है,
अपनों में हमें भी गिना करता है।
बहुत खुशनसीब समझते हैं हम खुद को,
दूर रहकर भी जब कोई याद किया करता है।
मेरे दिल की किताब को पढ़ना कभी,
सपनों में आके मुझसे मिलना कभी।
मैंने दुनियाँ सजाई है तेरे लिए,
मेरी नज़रों की उम्मीद बनना कभी।
बहुत दूर है सितारों से रोशन जहां,
जरा हम कदम बन के मेरे साथ चलना कभी।
बहुत नाज़ुक सीने में दिल है मेरा,
तुम अन्दाज़-ए-मुहब्बत बनके धड़कना कभी।
रात होगी तो चाँद दिखाई देगा,
ख्वाबों में आपको मेरा ही चेहरा दिखाई देगा।
ये मुहब्बत है जरा सोच कर करना,
एक आँसु भी गिरा तो सुनाई देगा।
मिले हर जन्म में आप सा यार,
दुआ करते हैं रब से बार-बार,
चाहे क्यों न ठुकरा दे हमें ये दुनियां,
पर मिलता रहे आप जैसे दोस्तों का प्यार।
दोस्त का प्यार किसी दुआ से कम नहीं होता,
दोस्त चाहे कितनी भी दूर हो गम नहीं होता,
प्यार में अक्सर दोस्ती कम हो जाती है,
पर दोस्ती में प्यार कभी कम नहीं होता।
आप नहीं तो जिन्दगी में क्या रह जायेगा,
दूर तक तन्हाईयों का सिलसिला रह जायेगा,
हर कदम पर मेरे साथ चलना दोस्त,
वरना आपका ये दोस्त तन्हा रह जायेगा।
बहते अश्कों की ज़ुबान नहीं होती,
लफ़्ज़ों में मोहब्बत बयां नहीं होती,
मिले जो प्यार, तो कदर करना,
किस्मत हर किसी पर मेहरबां नहीं होती।
संतोष का पुरस्कार
थोड़ी देर बाद एक और फकीर गाता हुआ बादशाह के पास से गुजरा। उसके बोल थे- मौला दिलवाए तो मिल जाए, मौला दिलवाए तो मिल जाए। आसफउद्दौला को अच्छा नहीं लगा। उसने फकीर को बेमन से दो आने दिए। फकीर ने दो आने लिए और झूमता हुआ चल दिया। दोनों फकीरों की रास्ते में भेंट हुई। उन्होंने एक दूसरे से पूछा, 'बादशाह ने क्या दिया?' पहले ने निराश स्वर में कहा,' सिर्फ यह तरबूज मिला है।' दूसरे ने खुश होकर बताया,' मुझे दो आने मिले हैं।' 'तुम ही फायदे में रहे भाई', पहले फकीर ने कहा।
दूसरा फकीर बोला, 'जो मौला ने दिया ठीक है।' पहले फकीर ने वह तरबूज दूसरे फकीर को दो आने में बेच दिया। दूसरा फकीर तरबूज लेकर बहुत खुश हुआ। वह खुशी-खुशी अपने ठिकाने पहुंचा। उसने तरबूज काटा तो उसकी आंखें फटी रह गईं। उसमें हीरे जवाहरात भरे थे। कुछ दिन बाद पहला फकीर फिर आसफउद्दौला से खैरात मांगने गया। बादशाह ने फकीर को पहचान लिया। वह बोला, 'तुम अब भी मांगते हो? उस दिन तरबूज दिया था वह कैसा निकला?' फकीर ने कहा, 'मैंने उसे दो आने में बेच दिया था।' बादशाह ने कहा, 'भले आदमी उसमें मैंने तुम्हारे लिए हीरे जवाहरात भरे थे, पर तुमने उसे बेच दिया। तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि तुम्हारे पास संतोष नहीं है। अगर तुमने संतोष करना सीखा होता तो तुम्हें वह सब कुछ मिल जाता जो तुमने सोचा भी नहीं था। लेकिन तुम्हें तरबूज से संतोष नहीं हुआ। तुम और की उम्मीद करने लगे। जबकि तुम्हारे बाद आने वाले फकीर को संतोष करने का पुरस्कार मिला।'
Friday, November 26, 2010
पर ये ना सोचना की तेरे लबों को हंसी ना दे सकेंगे
नहीं कहते तुझे हर पल खुशियाँ दे सकेंगे*****
कैसे कहें तेरी पलकों को नमी ना दे सकेंगे*****
ज़िन्दगी में सुख है गर तो दुःख भी आयेंगे*****
पर ये ना सोचना की तेरे लबों को हंसी ना दे सकेंगे*****
यूँ तो हर पल – हर घडी ये ज़िन्दगी कट रही है*****
मौत के आसमां से श्वांसों की घटा छट रही है*****
तुम संग होते तो, लगता के साहिल संग है, वरना*****
जीवन नदी बस कल-आज-कल में कल-कल बह रही है*****
नहीं कहते की इस जीवन नदी को कोई रुख ना दे सकेंगे*****
तुम बनके तो देखो सागर, फिर कैसे ना मिल सकेंगे*****
पर ये ना सोचना की तेरे लबों को हंसी ना दे सकेंगे*****
Saturday, November 13, 2010
मैं पहुँचकर शिखर पर अकेला पड़ गया हूँ माँ
ऐ माँ अभी तेरी परछाईं मेरी आँखों में बाक़ी है।
वो हर रात सुनाना एक मीठी सी लोरी
उसकी मिठास अब भी मेरी सांसों में बाक़ी है।
वो तेरे होंठों की लम्स तेरे सांसों की खुशबू
ये एह्सास अब भी मेरी यादों में बाक़ी है।
मैं पहुँचकर शिखर पर अकेला पड़ गया हूँ
पर तेरी दुआओं का असर मेरी राहों में बाक़ी है।
ऐ “राज” अब दर्द पाकर मुझे एहसास होता है
तेरी ममता का वो दर्द मेरी आहों में बाक़ी है।
Friday, November 12, 2010
आज का विचार
>पैसे से खुशियाँ नहीं ख़रीदी जा सकती लेकिन वो बहुत सारी तक़लीफ़ों को कम कर देता है।
>अमीर होते हुए गरीबी का एहसास होना नामुमकिन है, लेकिन गरीब न होते हुए भी गरीबी का एहसास होना मुमकिन है।
>मुझे इस बात पर बहुत कम अफ़सोस हुआ कि मैं मौन क्यों रहा, लेकिन इस बात का कई बार अफ़सोस हुआ कि मैं बोला क्यों।
>ख़ुद को बदल लेना चाहिए, इससे पहले कि समय आपको बदले।
>गुस्से का मतलब है, दूसरों की गलती का अपने से बदला लेना।
>जो लोग सोचते नहीं हैं, वे शोचनीय हो जाते हैं।
>जो समय पर चल पड़ते हैं, उन्हें दौड़ना नहीं पड़ता।
>हारना उतना शर्मनाक नहीं होता जितना हार मान लेना।
>सीखने और मरने की कोई उम्र नहीं होती।
>जो लोग शर्तों पर शुरूआत करने की सोचते हैं, वे कभी कोई शुरूआत नहीं कर पाते।
>महत्वपूर्ण ये नहीं है कि आपके कितने मित्र हैं, महत्वपूर्ण ये है कि आप कितनों के मित्र हैं।
Thursday, November 11, 2010
मतलबी हैं लोग
मतलबी हैं लोग यहाँ पर मतलबी ज़माना
मतलबी हैं लोग यहाँ पर मतलबी ज़माना
सोचा साया साथ देगा निकला वो भी बेग़ाना
खुशियाँ चुरा के गुज़रे वो दिन
काँटे चुभा के बिछड़े वो दिन
बहते ही आंसू कहने लगे
बहते ही आंसू कहने लगे
ये क्या हुआ ये क्यूँ हुआ कैसे हुआ मैने न जाना
मतलबी हैं लोग यहाँ पर मतलबी ज़माना
आपनो में मैं बेग़ाना बेग़ाना
ज़िन्दा है लेकिन मुर्दा ज़मीं है
जीने के काबिल दुनिया नही है
दुनिया को ठोकर क्यूँ न लगा दूँ
खुद अपनी हस्ती क्यूँ ना मिटा दूँ
जी के यहाँ जी भर गया
दिल अब तौ मरने के ढूडे बहाना
मतलबी हैं लोग यह पर मतलबी ज़माना
सोचा साया साथ देगा निकला वो भी बेग़ाना
माता-पिता
माता-पिता के नाम वाले।
माता-पिता की क्या बटाऊ महिमा,
इनके प्यार की कोई नही सीमा।
माता पिता है क्षमा की मूर्ति,
इनकी कमी की नही करसकता कोइ पूर्ति।
इन्होने की हमारे लिये अपनी खुशियाँ कुर्बन,
हमे ईश्वर के रूप में करना है इनका गुणगान।
अगर हम लैगे जन्म हज़ार,
तब भी नही चुका सकते इनका ऋण अपार।
जिनको मिल माता -पिता के रूप में भगवान,
संसार की खुशनसीब है वो सन्तान।
Friday, September 10, 2010
मेरे मन मंदिर में जो अस्थान तुम्हारा है
तुम्हारा प्रति जो समर्पण की भावना है
वह इस दुनिया के लोगो सेबिल्कुल अलग है
मेरे मन मंदिर में जो अस्थान तुम्हारा है वह इस दुनिया के लोगो को नहीं
पतानहीं पता प्यार किया होता है
आपनापन कैसे बनता है
दुसरो के दिल में आपना अस्थान कैसे बनता है
यह दुनिया मतलबी होता जा रहा हैपर मै उन लोगो में नहीं हु
तुम मेरे लिए सदा एक आदर्श के रूप में
सदा मेरे जीवन में रहोगी
और शायद जीवन के बाद भी .........
ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो
आँख नाम ना करो ,
रात काली सही कोई गम ना करो,
इक सितारा बनो जगमगाते रहो ,
ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो .
बांटनी है अगर बाँट लो हर ख़ुशी,
गम न ज़ाहिर करो तुम किसी पर कभी,
दिल की गहराई में गम छुपाते रहो,
ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो.
अश्क अनमोल हैं खो ना देना कहीं,
इन की हर बूँद है मोतियों से हसीं,
इनको हर आँख से तुम चुराते रहो,
ज़िन्दगी में सदा मुसकुरात रहो .
फासले कम करो दिल मिलते रहो
ज़िन्दगी में सदा मुस्कुराते रहो.
मेरा हर ख़ुशी तुम हो
कोई इसे हल कर दिया तो मुझे बताना
जीवन एक सागर है
कोई इसकी गहराई जान सको तो मुझे बताना
जीवन एक खुसबू है
इसकी महक अगर कोई पहचान सको तो मुझे बताना
जीवन एक दर्द है
इसकी मरहम अगर तुम्हारे पास है तो मुझे बताना
जीवन सूरज की वह तपिश है
अगर कही छाव नजर आये तो मुझे बताना
जीवन एक पूर्णिमा की ठंडी चांदनी है
क्यों की मेरे जीवन में तुम हो
जिसकी चांदनी से मेरा जीवन
एक सफल जीवन बन गया।
और जिसके जीवन में तुम रहोगी
उसे भला अपने जीवन से कोई
शिकायत थोरी भी नहीं होगी...........
जीवन का हर रहस्य
तुम पर आ कर ख़त्म हो जाता है
क्यों की
मेरे जीवन में तुम तो
मेरे जीवन का हर रहस्य तुम हो........
मेरा हर ख़ुशी तुम हो
मेरी जिंदिगी तुम तो तुम हो
मैं तुझसे प्यार करता हूं
जैसे हवाएं
सागर की लहरों से करती हैंजिन्हें उछालते हुए खुद को हीआकार देती हैं वो
और उसमें घुलती हैं थोडा-थोडाजैसे मेरी हंसी
तुम्हारी आंखों की चमक में घुलती है
हां मैं तुमसे प्यार करता हूं
जैस नदियां समंदर से करती हैंजिसमें जा मिलती हैं वो
बिना किसी शोर केखुद को अनस्तित्व करती हुई
उसकी असीमता को बल प्रदान करतीं
हां मैं तुमसे प्यार करता हूं
जैसे चांदनी इस धरती से करती हैजिसकी चोटियों को वह
उसी तरह सहलाती है
जैसे उसकी खाइयों को भरती हैअपनी ठंडी फिसलती रोशनी से
हां मैं तुझसे प्यार करता हूं
जैसे सुबहें और शामें करती हैं मुझसेजिनमें उगते हुए भू-दृश्यों में
चलती चली जाती हैं निगाहें
जैसी कि वेा डूबती चली जाती हैंतुम्हारी आंखों की छवि मे ...
प्यार जिदंगी का बहुत खूबसूरत खुशनुमा एहसास है
Wednesday, September 1, 2010
माँ हर पल तुम साथ हो मेरे मुझ को यह एहसास
माँ हर पल तुम साथ हो मेरे, मुझ को यह एहसास
हैआज तू बहुत दूर है मुझसे, पर दिल के बहुत पास है।
तुम्हारी यादों की वह अमूल्य धरोहर
आज भी मेरे साथ है,ज़िंदगी की हर जंग को जीतने के लिए,
अपने सर पर मुझे महसूस होता आज भी तेरा हाथ है।
कैसे भूल सकती हूँ माँ मैं आपके हाथों का स्नेह,
जिन्होने डाला था मेरे मुंह में पहला निवाला,
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में,
दुनिया की राहों में मेरा पहला क़दम था जो डाला
जाने अनजाने माफ़ किया था मेरी हर ग़लती को,
हर शरारत को हँस के भुलाया था,
दुनिया हो जाए चाहे कितनी पराई,
पर तुमने मुझे कभी नही किया पराया था,
दिल जब भी भटका जीवन के सेहरा में,
तेरे प्यार ने ही नयी राह को दिखाया था
ज़िंदगी जब भी उदास हो कर तन्हा हो आई,
माँ तेरे आँचल ने ही मुझे अपने में छिपाया था
आज नही हो तुम जिस्म से साथ मेरे,पर अपनी बातो से ,
अपनी अमूल्य यादो सेतुम हर पल आज भी मेरे साथ हो..........
क्योंकि माँ कभी ख़त्म नही होती .........
तुम तो आज भी हर पल मेरे ही पास हो.........
Tuesday, August 31, 2010
माँ
तू रात को सोती उठ बैठी हुई तेरे दिल में हलचल
जो इतनी दूर चला आया ये कैसा प्यार तेरा है मां
सब ग़म ऐसे दूर हुए तेरा सर पर हाथ फिरा है मां
जीवन का कैसा खेल है ये मां तुझसे दूर हुआ हूं मै
वक़्त के हाथों की कठपुतली कैसा मजबूर हुआ हूं मै
जब भी मै तन्हा होता हूँ, मां तुझको गले लगाना है
भीड़ बहुत है दुनिया में तेरी बाहों में आना है
जब भी मै ठोकर खाता था मां तूने मुझे उठाया है
थक कर हार नहीं मानूं ये तूने ही समझाया है
मै आज जहां भी पहुंचा हूँ मां तेरे प्यार की शक्ति है
पर पहुंचा मै कितना दूर तू मेरी राहें तकती है
छोती छोटी बातों पर मां मुझको ध्यान तू करती है
चौखट की हर आहट पर मुझको पहचान तू करती है
कैसे बंधन में जकड़ा हूँ दो-चार दिनों आ पाता हूँ
बस देखती रहती है मुझको आँखों में नहीं समाता हूँ
तू चाहती है मुझको रोके मुझे सदा पास रखे अपने
पर भेजती है तू ये कह के जा पूरे कर अपने सपने
अपने सपने भूल के मां तू मेरे सपने जीती है
होठों से मुस्काती है दूरी के आंसू पीती है
बस एक बार तू कह दे मां मै पास तेरे रुक जाऊंगा
गोद में तेरी सर होगा मै वापस कभी ना जाऊंगा
Saturday, August 28, 2010
चिंता नहीं चिंतन की है महत्ता
सफलता की स्थिति में : सफलता की स्थिति में चिंतन करना इसलिए अनिवार्य होता है कि आप इसके जरिए यह जान सकते हैं कि आपने कामयाबी को हासिल करने के लिए किन चीजों का सहारा लिया, आपके ताकतवर पक्ष कौन से रहे, आगे के सफर में कामयाबी के लिए और किस रास्ते का अनुसरण किया जाए इत्यादि-इत्यादि। असफलता की अपेक्षा सफलता की स्थिति में अपने चिंतन को सतत जारी रखना और ज्यादा जरूरी हो जाता है। सफलता पाना जितना मुश्किल है, उसे बनाए रखना और आगे के सफर में कामयाब होना उससे भी ज्यादा मुश्किल।
असफलता की स्थिति में: आप चाहे कारोबार में हों, अध्ययन कर रहे हों या अपने परिवार की ही किसी समस्या के निराकरण में आपको असफलता हाथ लगी हो; ऐसे मामलों में भी चिंतन बहुत जरूरी है, ताकि आगे उस असफलता को आप न दोहरा सकें। असफलता के दौरान आपने क्या गलतियां की, आपके वीक पॉइंट्स क्या रहे, प्रतिद्वंद्वी को आगे बढ़ने के लिए आपने कहां स्पेस दिया, समस्या को और ज्यादा बढ़ने के लिए जिम्मेदार तत्व क्या रहे इत्यादि बातों पर चिंतन करना श्रेयस्कर रहता है।
मध्य की स्थिति: मध्य की स्थिति उसे कहा जाएगा, जब आप अपने मिशन की शुरुआत करने जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में आपका चिंतन इस तरह का होना चाहिए।
आप अपने काम को किस तरह से अंजाम दे सकते हैं। इस काम के लिए आपको किन संसाधनों की आवश्यकता होगी।आपके कमजोर पक्ष क्या हैं और उन्हें पहले ही किस तरह मजबूत कर लिया जाए।यदि अमुक प्रकार की कोई समस्या आड़े आ गई तो आप उससे कैसे बाहर निकलेंगे आदि-आदि।चिंतन एकांत में करें और छोटी-छोटी चीजों से इसकी शुरुआत करें। याद रखें दुनिया में जितनी भी महान हस्तियां हैं, उन्होंने चिंता से नहीं वरन् चिंतन से उपलब्धियां हासिल की है। अत: चिंतनशील बनें।
Friday, August 13, 2010
अनमोल वचन
2. यदि आप मरने का डर है तो इसका यही अर्थ है की आप जीवन के महत्व को ही नहीं समझते.
3. अधिक सांसारिक ज्ञान अर्जित करने से अंहकार आ सकता है, परन्तु आध्यात्मिक ज्ञान जितना अधिक अर्जित करते है उतनी ही नम्रता आती है.
4 .वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है।
5. प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है।
6. ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है।
7. एकाग्रता से ही विजय मिलती है।
8. कीर्ति वीरोचित कार्यो की सुगन्ध है।
9. भाग्य साहसी का साथ देता है।
10. सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है।
11. विवेक बहादुरी का उत्तम अंश है।
12. कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही।
13. संकल्प ही मनुष्य का बल है।
14. प्रचंड वायु मे भी पहाड विचलित नही होते।
15. कर्म करने मे ही अधिकार है, फल मे नही।
16. मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है।
17. अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नही होता।
18. मुस्कान प्रेम की भाषा है।
19. सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है।
20. अहंकार छोडे बिना सच्चा प्रेम नही किया जा सकता।
21. प्रसन्नता स्वास्थ्य देती है, विषाद रोग देते है।
22. प्रसन्न करने का उपाय है, स्वयं प्रसन्न रहना।
23. अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नही होता।
24. एक गुण समस्त दोषो को ढक लेता है।
25. दूसरो से प्रेम करना अपने आप से प्रेम करना है।
26. समय महान चिकित्सक है।
27. समय किसी की प्रतीक्षा नही करता।
27. हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है।
28. एक झूठ छिपाने के लिये दस झूठ बोलने पडते है।
29. प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है।
30. बिना गुरु के ज्ञान नही होता। 31. आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है।
32. जिग्यासा के बिना ज्ञान नही होता।
33. बिना अनुभव के कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है।
34 अल्प ज्ञान खतरनाक होता है।
35. कर्म सरल है, विचार कठिन।
36. उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन।
37. धन अपना पराया नही देखता।
38. जैसा अन्न, वैसा मन।
39. अहिंसा सर्वोत्तम धर्म है।
40. बहुमत की आवाज न्याय का द्योतक नही है।
41. अन्याय मे सहयोग देना, अन्याय के ही समान है।
42. विश्वास से आश्चर्य-जनक प्रोत्साहन मिलता है।
Monday, August 9, 2010
ये जीवन है, इस जीवन का
आपके अंदर क्या हैं?
हृदय कभी नहीं भरता
Tuesday, August 3, 2010
तीन बातें
मनुष्य के साथ क्या हो गया है?
Saturday, July 17, 2010
मौत से इंसान डरता क्यों है?
Wednesday, July 14, 2010
अमीर बनना होगा आसान यदि आप धार्मिक बनें
Bharat Mata

I pay my obeisance to mother Bharat, whose feet are being a washed by the ocean, who wears the mighty Himalaya as her crown, and who is exuberantly adorned with the gems of traditions set by Brahmarsis and Rajarsis.
Tuesday, July 13, 2010
दुख अपने और पराए की पहचान कराता है
सिर्फ अहंकार ही व्यर्थ होता है
पूर्ण सुखी बनने के तीन रास्ते
आत्मिक क्षेत्र की तीन निधियां (1) विवेक, (2) पवित्रता (3)शान्ति हैं। बौद्धिक क्षेत्र की और सांसारिक क्षेत्र की तीन निधियां (1) साहस, (2) स्थिरता, (3) कर्तव्यनिष्ठा हैं और सांसारिक क्षेत्र की तीन निधियां (1) स्वास्थ्य,(2) समृद्धि,(3) सहयोग हैं। यह नौ लक्षण जीवन की सफ लता के आधार स्तंभ हैं। इन्हीं नौ गुणों को ब्राह्मण के नव गुण बताया है। भगवान् रामचन्द्रजी ने धनुष तोडऩे पर क्रोधित परशुराम जी से उनके नव गुणों की प्रशंसा करके उन्हें प्रसन्न किया था।
Monday, July 12, 2010
धन आए तो मन को जरूर संभाल लें
पैसा नीति से कमाएं, रीति से खर्च करें
किसी की मौत कितनी करीब है?
ऐसे जीएंगे तो नहीं रहेगा मौत का डर
जीवन में एक अज्ञात भय ऐसा है जो ज्ञात भी है, परन्तु है सबसे बड़ा और वह है मृत्यु का भय। उम्र, मौत और जिन्दगी इन तीनों के मामले में संसारी और साधु का फर्क पकड़ें तो भयमुक्त हुआ जा सकता है। संत कितना जिए यह महत्वपूर्ण नहीं होता, कैसे जिए यह उपयोगी होता है। देह त्यागने के पूर्व बुद्ध ने जो अंतिम वाक्य कहे थे उसे समझा जाए। च्च्हंद दानि भिक्खवे आमंत यामि वो, वह धम्मा संरवारा अप्पमादीन संपादे था इतिज्ज हर वस्तु नाशवान है, जीवन का संपादन अप्रमाद के साथ करो। आलस्य के साथ वासना का समावेश हो जाए तो प्रमाद शुरू होता है। बुद्ध ने अपने भिक्षुओं को अपनी अंतिम क्रिया के लिए भी विस्तार से समझा दिया था। मौत को उन्होंने उत्सव बनाया।
भौतिकता की आंधी में आज तो हम इतने भयभीत हैं कि सांप को तो मार देते हैं और रस्सी से डसा जाते हैं। हमारी मौत अवसाद और संतों की मृत्यु उपदेश हो जाती है। इसे दिव्य बनाने का प्रयास उम्र के हर पल में और जिन्दगी के हर पड़ाव पर सतत करना होगा। कहते हैं जब बुद्ध संसार से गए तो उनकी उम्र अस्सी वर्ष थी लेकिन संत समाज मानता है वे चालीस साल के थे क्योंकि जब वे चालीस वर्ष के थे तब एक पीपल के वृक्ष के नीचे सात दिन सतत समाधि में रहे और तब ही उन्हें पूर्णिमा के दिन बुद्धत्व प्राप्त हुआ था। इस ज्ञान प्राप्ति को संबोधि कहा गया है और उसके बाद वे चालीस वर्ष और जीवित रहे। अध्यात्म कहता है उम्र तो उसी को मानेंगे जब, जिन क्षणों में आप स्वयं को जान गए। इसलिए याद रखा जाए कितना जिए यह संसार का समीकरण है कैसा जिए यह अध्यात्म का गणित है।