दिवाली पर हम लक्ष्मी की पूजा करते है। लेकिन लक्ष्मी के पूजन के साथ हम चित्र में मौजूद गणेश और सरस्वती की भी पूजा करते है। आखिर लक्ष्मी, सरस्वती और गणपति में क्या रिश्ता है कि तीनों देवी-देवता एक साथ पूजे जाते है। इसके अलावा कमल पर बैठी लक्ष्मी, पीछे दो हाथी भी हमें कई बातें बताते है। आइये जानते है कि यह चित्र हमें क्या सिखाता है।
सरस्वती ज्ञान की देवी हैं और गणपति बुद्वि के देवता है। अगर हम धन के लिए लक्ष्मी का आवाहन करते है तो सरस्वती और गणेश को भी बुलाएं। धन आने पर उसे अपने ज्ञान से संभालें और बुद्वि के उपयोग से उसे निवेश करे। इससे लक्ष्मी का स्थायी निवास होगा।
अगर हम गौर करें तो दिवाली पर इसी चित्र की पूजा की जाती है। सरस्वती लक्ष्मी की दांयी और गणपति बांई ओर बैठे है। मानव का दांयी ओर का मस्तिष्क ज्ञान के लिए होता है। उस ओर हमारा ज्ञान एकत्र होता है और बांई ओर का मस्तिष्क रचनात्मक होता है। गणपति बुद्वि के देवता है। हमारी बुद्वि रचनात्मक होनी चाहिए। लक्ष्मी कमल के फूल पर बैठी हैं कमल को सबसे पवित्र फूल माना गया है। इसका अर्थ हम जिस जरिए से धन कमाते हैं वह बहुत पवित्र होना चाहिए।
सरस्वती ज्ञान की देवी हैं और गणपति बुद्वि के देवता है। अगर हम धन के लिए लक्ष्मी का आवाहन करते है तो सरस्वती और गणेश को भी बुलाएं। धन आने पर उसे अपने ज्ञान से संभालें और बुद्वि के उपयोग से उसे निवेश करे। इससे लक्ष्मी का स्थायी निवास होगा।
अगर हम गौर करें तो दिवाली पर इसी चित्र की पूजा की जाती है। सरस्वती लक्ष्मी की दांयी और गणपति बांई ओर बैठे है। मानव का दांयी ओर का मस्तिष्क ज्ञान के लिए होता है। उस ओर हमारा ज्ञान एकत्र होता है और बांई ओर का मस्तिष्क रचनात्मक होता है। गणपति बुद्वि के देवता है। हमारी बुद्वि रचनात्मक होनी चाहिए। लक्ष्मी कमल के फूल पर बैठी हैं कमल को सबसे पवित्र फूल माना गया है। इसका अर्थ हम जिस जरिए से धन कमाते हैं वह बहुत पवित्र होना चाहिए।
Priyatam Kumar Mishra
No comments:
Post a Comment