अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेर ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
तेर भक्त जानो पर मैया भीड़ पड़ी है भारी,
दानव दल पर टूट पड़ो माँ कर के सिंह सवारी ।
सो सो सिंघो से है बलशाली,
है दस भुजाओं वाली,
दुखिओं के दुखड़े निवारती ।
माँ बेटे की है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता,
पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता ।
सबपे करुना बरसाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखिओं के दुखड़े निवारती ।
नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना,
हम तो मांगे माँ तेरे मन में एक छोटा सा कोना ।
सब की बिगड़ी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतिओं के सत को सवारती ।
मन मेरा मंदिर आँखे दिया बाती,
होंठो की हैं थालिया, बोल फूल पाती।
रोम रोम जीभा तेरा नाम पुकारती,
आरती ओ मैया तेरी आरती,
ज्योतां वालिये माँ तेरी आरती॥
हे महालक्ष्मी हे गौरी, तू अपने आप है चोहरी,
तेरी कीमत तू ही जाने, तू बुरा भला पहचाने।
यह कहते दिन और राती, तेरी लिखीं ना जाए बातें,
कोई माने जा ना माने हम भक्त तेरे दीवाने,
तेरे पाँव सारी दुनिया पखारती॥
हे गुणवंती सतवंती, हे पत्त्वंती रसवंती,
मेरी सुनना यह विनंती, मेरी चोला रंग बसंती।
हे दुःख भंजन सुख दाती, हमें सुख देना दिन राती,
जो तेरी महिमा गाये, मुहं मांगी मुरादे पाए,
हर आँख तेरी और निहारती॥
हे महाकाल महाशक्ति, हमें देदे ऐसी भक्ति,
हे जगजननी महामाया, है तू ही धुप और छाया।
तू अमर अजर अविनाशी, तू अनमिट पूरनमाशी,
सब करके दूर अँधेरे हमें बक्शो नए सवेरे।
तू तो भक्तो की बिगड़ी संवारती॥
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे, निर्धन के घर भी आ जाना |
जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना ||
ना छत्र बना सका सोने का, ना चुनरी घर मेरे टारों जड़ी |
ना पेडे बर्फी मेवा है माँ, बस श्रद्धा है नैन बिछाए खड़े ||
इस श्रद्धा की रख लो लाज हे माँ, इस विनती को ना ठुकरा जाना |
जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना ||
जिस घर के दिए मे तेल नहीं, वहां जोत जगाओं कैसे |
मेरा खुद ही बिशोना डरती माँ, तेरी चोंकी लगाऊं मै कैसे ||
जहाँ मै बैठा वही बैठ के माँ, बच्चों का दिल बहला जाना |
जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना ||
तू भाग्य बनाने वाली है, माँ मै तकदीर का मारा हूँ |
हे दाती संभाल भिकारी को, आखिर तेरी आँख का तारा हूँ ||
मै दोषी तू निर्दोष है माँ, मेरे दोषों को तूं भुला जाना |
जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना ||

दोहा: ब्रह्मा जी को आन छुड़ाया मधुकैटब के बल से |माँ ने रूप धर शिव को बचाया, भस्मासुर के छल से ||सब देवो पर हुई सहाई, माँ दुष्टों के दल से |और भक्तो की है प्यास भुझाई चरण गंगा के जल से ||
अब मेरी भी सुनो हे मात भवानी |मै तेरा ही बालक हूँ, जगत महारानी ||
सिंह सवारी करने वाली तेरी शान निराली है |तू है शारदा, तू ही लक्ष्मी, तू ही महाकाली है ||शुंभ-निशुम्भ पापी तूने संघारे,महिषासुर के जैसे तुमने ही मारे |भक्तो के सारे संकट तुमने ही टारे, मै भी हूँ आया मैया तेरे द्वारे |तेरा यश है उज्वल निर्मल जू गंगा का पानी ||
ब्रह्मा विष्णु शंकर ने भी आध्शक्ति को माना है |जय जगदम्बे जय जगदम्बे वेद पुराण बखाना है ||शक्ति से ही सेवा होती, शक्ति से ही मान है |शक्ति से ही विजयी होता हर इंसान है ||शक्ति से ही भक्ति होती, भक्ति मे कल्याण माँ |दे दो मुझे भी भक्ति, गाउन गुणगान माँ |कैसे मै गुणगान करूँ, मै तो हूँ अज्ञानी ||
कण कण मे है देखी सबने कैसे जोत समायी है |भीड़ पड़े जब भक्तो पे माँ दोडी दोडी आई है ||मेरी पुकार सुन लो, दर्श दिखा दो,कर दो दया की दृष्टि, गले से लगा लो |भक्तो का मैया तुमने भाग सवारा,आया शरण मे प्रियतम मिश्रI एक दुखिआरा |कर प्रियतम मिश्रI पे ओ मैया मेहरबानी ||
हे माँ मुझको ऐसा घर दे, जिसमे तुम्हारा मंदिर हो,
ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अन्दर हो।
हे माँ, हे माँ, हे माँ, हे माँ
जय जय माँ, जय जय माँ
इक कमरा जिसमे तुम्हारा आसन माता सजा रहे,
हर पल हर छिन भक्तो का वहां आना जान लगा रहे।
छोटे बड़े का माँ उस घर में एक सामान ही आदर हो,
ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अन्दर हो॥
इस घर से कोई भी खाली कभी सवाली जाए ना,
चैन ना पाऊं तब तक दाती जब तक चैन वो पाए ना।
मुझको दो वरदान दया का, तुम तो दया का सागर हो,
ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अन्दर हो॥
मैं बालक तू माता, शेरां वालीये,
है अटूट यह नाता, शेरां वालीये |
शेरां वालीये माँ, पहाडा वालीये माँ,
मेहरा वालीये माँ, ज्योतां वालीये माँ ||
तेरी ममता, मिली है मुझको, तेरा प्यार मिला है |
तेरे आँचल की छाया मे मन का फूल खिला है ||
तूने बुद्धि तूने साहस तूने ज्ञान दिया |
मस्तक उचा कर के जीने का वरदान दिया माँ ||
तू है भाग्यविदाता, शेरां वालीये |
मैं बालक तू माता, शेरां वालीये ||
जब से दो नैनो मे तेरी पावन ज्योत समायी |
मन्दिर मन्दिर तेरी मूरत देने लगी दिखाई ||
ऊँचे परबत पर मैंने भी डाल दिया है डेरा |
निस दिन करे जो तेरी सेवा मै वो दास हूँ तेरा ||
रहूँ तेरे गुण गाता, शेरां वालीये |
मैं बालक तू माता, शेरां वालीये ||
जय शेरा वाली, जय भावना वाली |
जय मेहरा वाली, जय ज्योता वाली ||
कैसी यह देर लगाई दुर्गे,हे मात मेरी हे मात मेरी।भव सागर में घिरा पड़ा हूँ,काम आदि गृह में घिरा पड़ा हूँ।मोह आदि जाल में जकड़ा पड़ा हूँ।हे मात मेरी हे मात मेरी॥ना मुझ में बल है, ना मुझ में विद्या,ना मुझ ने भक्ति ना मुझ में शक्ति।शरण तुम्हारी गिरा पड़ा हूँ,हे मात मेरी हे मात मेरी॥ना कोई मेरा कुटुम्भ साथी,ना ही मेरा शरीर साथी।आप ही उभारो पकड़ के बाहें,हे मात मेरी हे मात मेरी॥चरण कमल की नौका बना कर,मैं पार हूँगा ख़ुशी मना कर।यम दूतों को मार भगा कर,हे मात मेरी हे मात मेरी॥सदा ही तेरे गुणों को गाऊं,सदा ही तेरे सरूप को धयाऊं।नित प्रति तेरे गुणों को गाऊं,हे मात मेरी हे मात मेरी॥ना मैं किसी का ना कोई मेरा,छाया है चारो तरफ अँधेरा।पकड़ के ज्योति दिखा दो रास्ता,हे मात मेरी हे मात मेरी॥शरण पड़े हैं हम तुम्हारी,करो यह नैया पार हमारी।कैसी यह देरी लगाई है दुर्गे,हे मात मेरी हे मात मेरी॥
जय माता दी जय माता