अब मेरी भी सुनो हे मात भवानी
दोहा: ब्रह्मा जी को आन छुड़ाया मधुकैटब के बल से |माँ ने रूप धर शिव को बचाया, भस्मासुर के छल से ||सब देवो पर हुई सहाई, माँ दुष्टों के दल से |और भक्तो की है प्यास भुझाई चरण गंगा के जल से ||
अब मेरी भी सुनो हे मात भवानी |मै तेरा ही बालक हूँ, जगत महारानी ||
सिंह सवारी करने वाली तेरी शान निराली है |तू है शारदा, तू ही लक्ष्मी, तू ही महाकाली है ||शुंभ-निशुम्भ पापी तूने संघारे,महिषासुर के जैसे तुमने ही मारे |भक्तो के सारे संकट तुमने ही टारे, मै भी हूँ आया मैया तेरे द्वारे |तेरा यश है उज्वल निर्मल जू गंगा का पानी ||
ब्रह्मा विष्णु शंकर ने भी आध्शक्ति को माना है |जय जगदम्बे जय जगदम्बे वेद पुराण बखाना है ||शक्ति से ही सेवा होती, शक्ति से ही मान है |शक्ति से ही विजयी होता हर इंसान है ||शक्ति से ही भक्ति होती, भक्ति मे कल्याण माँ |दे दो मुझे भी भक्ति, गाउन गुणगान माँ |कैसे मै गुणगान करूँ, मै तो हूँ अज्ञानी ||
कण कण मे है देखी सबने कैसे जोत समायी है |भीड़ पड़े जब भक्तो पे माँ दोडी दोडी आई है ||मेरी पुकार सुन लो, दर्श दिखा दो,कर दो दया की दृष्टि, गले से लगा लो |भक्तो का मैया तुमने भाग सवारा,आया शरण मे प्रियतम मिश्रI एक दुखिआरा |कर प्रियतम मिश्रI पे ओ मैया मेहरबानी ||
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