स्पष्ट और शांत दिमाग रखें:
हममें से अधिकांश जरा सी समस्या सामने आने या कुछ गलत हो जाने मात्र से ही घबरा जाते हैं। हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। हम नर्वस हो जाते हैं। हमारा अंग-प्रत्यंग शिथिल सा होने लगता है। इसका सीधा असर हमारी सोचने की शक्ति पर पड़ता है। होना यह चाहिए कि संकट के समय हमें अन्य स्थितियों या समय की अपेक्षा और अधिक प्रभावी ढ़ंग से कार्य करना चाहिए। दिमाग को शांत करने कासबसे सरल उपाय है- ठंडा पानी पीना। गहरी-गहरी सांस लें और ध्यान-योग का सहारा लेते हुए हल्की आवाज में मधुर संगीत सुनें। इन उपायों को अपनाने के पश्चात आप स्वयं महसूस करेंगे कि आप उस समस्या से सकारात्मक ढ़ंग से जूझने के लिए बिलकुल तैयार हो गए हैं।
समस्याएं सूचीबद्ध करें:
अपनी हर समस्या को अपनी डायरी पर लिख लें और स्वयं को बद से बदतर स्थितिके लिए तैयार रखें। इन समस्याओं के साथ ही जीवन में आपकों जो भी कुछ हासिलहुआ है, जिससे आपको संतुष्टि और खुशी मिलती हो, उसे भी अपनी डायरी में लिखलें। उदाहरण के लिए- अपनी उन्नति, स्वास्थ्य एवं व्यक्तित्व से जुडी बातें। इसके लिए ईश्वर को धन्यवाद देते हुए इसका भी उल्लेख अपनी डायरी में करें। इसका सकारात्मक प्रभाव यह होगा कि आपका दिमाग समस्याओं से हटकर जीवन से जुड़ी अच्छी बातों और शक्तियों के बारे में सोचने लगेगा। इससे आपके दिमाग में ऊर्जा का संचार होगा और वह समस्याओं के निराकरण में अच्छी तरह से सोच सकेगा।
दूसरे भी समस्याग्रस्त हैं:
संभव है कि समस्या का सामना करते ही आपको अपना जीवन ही सर्वाधिकसंकटग्रस्त लगे। परन्तु इस क्रम में यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि प्रत्येक इंसान को समस्याएं घेरती ही हैं। इनसे न कोई बचा है और न ही कोई बचेगा। फिर इनसे घबराना कैसा ? आपकी तरह ही तमाम अन्य लोग भी किसी न किसी समस्या से ग्रस्त हैं और उनसे जूझ रहे हैं।
बच्चों को प्यार देना न भूलें:
समस्या से दो-चार होते ही अधिकांश अभिभावक सबसे पहले उसकी खीझ और कुंठाअपने बच्चों पर उतारते हैं। हालांकि बाद में इसका अपराधबोध भी होता हे। यहअपराधबोध आपमें निराशा और क्रोध का इजाफा होता है। इसलिए बच्चों के साथपहले जैसा पूर्ववत प्रेमपूर्ण व्यवहार बनाए रखें। इसका सकारात्मक प्रभाव यह होगा कि आपके बच्चों में मजबूत और दृढ़ इच्छा-शक्ति की भावना सुदृढ़ होगी।
छोटी बातों में तलाशें खुशियां:
समस्याओं से घिरकर भी छोटी-छोटी बातों में खुशियों को तलाशें। अक्सर लोगसमस्याग्रस्त होने पर अपनी दिनचर्या अस्त-व्यस्त कर लेते हैं। अगर वे बच्चों की मुस्कान पर आनन्द लें तो उनका व्याकुल मंन प्रसन्न-चित्त हो जाएगा। इसी तरह छोटी-छोटी बातों में आनन्द लें तो समस्या हल करने में उनका चित्त लगेगा।
अपनी दिनचर्या न छोड़ें:
किसी समस्या के सिर उठाने पर कुछ लोग अपना दैनिक व्यक्तिगत जीवन भूलजाते है और उसी समस्या को लेकर चिन्ताग्रस्त रहते हैं। अगर आप चाहते हैं किआपकी समस्या का समाधान हो तो सबसे पहले आप अपने को दु:ख एवं चिन्ता केसागर में डुबोने के बजाय नियमित दिनचर्या का पहले की तरह ही पालन करें। इससे एक तो सामान्य स्थिति का अहसास होगा और दूसरे व्यस्त रहने से कुछ देर के लिए ही सही दुश्चिन्ताओं से मुक्ति मिलेगी।
रात के बाद सुबह आती है:
अपने को इस तथ्य से सदैव अवगत कराते रहें कि हर रात के बाद सुबह आती है।वक्त का कोई दौर स्थाई नहीं होता। स्थितियां अच्छे के लिए ही आकार लेती हैं। घैर्य और सकारात्मक नजरिए से स्थितियां अनुकूल बनाने में देर नहीं लगती हैं।
अपनी क्षमता को पहचानें:
विपरीत परिस्थितियों से गुजर कर ही इंसान मजबूत बनता है। ठीक वैसे ही जैसे आग में तपकर सोना और निखरता है। समस्याओं को चुनौती के रूप में लें औरस्वयं को दबाब और तनाव में बिखरने न दें। जितनी चुनौतियों का आप सामनाकरेंगे, उतने ही आप मजबूत होते जाएंगे। यानि तब समस्याएं आपको न तो हिलापाएंगी और न ही डिगा पाएंगी।
Priyatam Kumar Mishra
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