Friday, December 24, 2010

ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी

उसको नहीं देखा हम ने कभी
पर इसकी ज़रूरत क्या होगी
ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी , क्या होगी

उसको नहीं देखा हम ने कभी
इंसान तो क्या देवता भी
आँचल में पले तेरे
है स्वर्ग इसी दुनिया में
क़दमों के तले तेरे
ममता ही लुटाये जिसके नयन ओओओओ
ममता ही लुटाये जिसके नयन
ऐसी कोई मूरत क्या होगी

ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी , क्या होगी
उसको नहीं देखा हम ने कभी
क्यूँ धुप जलाये दुखो की
क्यूँ ग़म की घटा बरसे
येः हाथ दुआओं वाले
रहते हैं सदा सर पें
तू है तो अंधेरे पथ में हमें ओओओओ
तू है तो अंधेरे पथ में हमें
सूरज की ज़रूरत क्या होगी

ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी , क्या होगी
उसको नहीं देखा हम ने कभी
कहते हैं तेरी शान में जो
कोई ऊँचे बोल नहीं
भगवान के पास भी माता
तेरे प्यार का मोल नहीं
हम तो येही जाने तुझ से बड़ी ओओओओ
हम तो येही जाने तुझ से बड़ी
संसार की दौलत क्या होगी

ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी , क्या होगी
उसको नहीं देखा हम ने कभी
पर इसकी ज़रूरत क्या होगी

ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी , क्या होगी
उसको नहीं देखा हम ने कभी

पर इसकी ज़रूरत क्या होगी
ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी , क्या होगी

Thursday, December 23, 2010

दुनिया में जीने से ज्यादा उलझन है माँ

माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा

हाथों की लकीरें बदल जायेंगी
ग़म की येः जंजीरें पिघल जायेंगी

हो खुदा पे भी असर
तू दुआओं का है घर



मेरी माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
बिगड़ी किस्मत भी संवर जायेगी
जिंदगी तराने खुशी के जायेगी
तेरे होते किसका डर
तू दुआओं का है घर


मेरी माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा


यूँ तो मैं सब से न्यारा हूँ
तेरा माँ मैं दुलारा हूँ
यूँ तो मैं सब से न्यारा हूँ
पर तेरा माँ मैं दुलारा हूँ
दुनिया में जीने से ज्यादा उलझन है माँ
तू है अमर का जहान
तू गुस्सा करती है बड़ा अच्छा लगता है
तू कान पकड़ती है बड़ी ज़ोर से लगता है मेरी माँ


मेरी माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा



हाथों की लकीरें बदल जायेंगी
ग़म की येः जंजीरें पिघल जायेंगी
हो खुदा पे भी असर
तू दुआओं का है घर

मेरी माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा
ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा

माँ मेरी तू है महान देवी देवता समान

माँ मेरी तू है महान देवी देवता समान ,
तेरे पग की धूल मैं ललाट से लगाऊंगा ।
तेरे प्यार की पवित्रता है गंगा के समान ,
जिंदगी भी कम रहेगी मोल जो चुकाऊंगा !

जन्म देती हँसके सारी पीड़ाये सहन करे ,
है ख़ाक मेरी ज़िंदगी जो उसको मैं दुखाऊंगा ।
ठंड बाँट ली थी मेरी , छाती से लगा बदन ,
मैं आज तेरी आरजू को पूरा कर दिखाऊंगा ।

तेरे प्यार की पवित्रता है गंगा के समान ,
जिंदगी भी कम रहेगी मोल जो चुकाऊंगा !


तू न सोई रातभर सुलाया मुझको थपकी मार ,
तेरी लोरी और कहानी भूल मैं न पाउँगा ।
मुझको जब भी कष्ट हुआ तू भी रोई बार बार ,
आज तेरे सारे दुःख मैं हस के झेल जाऊंगा ।

तेरे प्यार की पवित्रता है गंगा के समान ,
जिंदगी भी कम रहेगी मोल जो चुकाऊंगा


ऐ मेरे प्रभु तू देना माँ के गम सभी मुझे ,
मैं अपने सुख से माँ की झोलियों को भरता जाऊंगा ।
और थक जो जाऊँ मैं कभी माँ गोदी मे लेना मुझे ,
हर जन्म - जन्म माँ तेरी ही कोख मे समाऊंगा ।

माँ मेरी तू है महान देवी देवता समान ,
तेरे पग की धूल मैं ललाट से लगाऊंगा ।
तेरे प्यार की पवित्रता है गंगा के समान ,
जिंदगी भी कम रहेगी मोल जो चुकाऊंगा !

Friday, December 17, 2010

किसी की ज़िन्दगी की बहुत बड़ी खुशी हो आप

निगाहें रहती हैं किसी के इंतज़ार में,
दिल धड़कता है इक अंजाने के प्यार में,
कितना हसीन होगा वो दिन जब दीदार उनका होगा,
किसी न किसी को तो इंतजार मेरा भी होगा।

मयखाने में जाम टूट जाता है,
ईश्क में दिल टूट जाता है,
जाने क्या रिश्ता है दोनों में,
जाम टूटे तो ईश्क याद आता है,
दिल टूटे तो जाम याद आता है।

माना के मेरे इश्क में दर्द नहीं था,
पर दिल मेरा बेदर्द नहीं था।
होती थी मेरी आँखों से आंसु की बरसात,
पर उनके लिए आंसु और पानी में कोई फर्क नहीं था।

उदास लम्हों की कोई याद न रखना,
तुफां में भी अपना वजूद सम्भाल कर रखना
किसी की ज़िन्दगी की बहुत बड़ी खुशी हो आप
उसी के लिए हमेशा अपना ख्याल रखना।

बात ऐसी हो कि जजबात कम न हों,
ख्यालात ऐसे हों कि कभी गम न हों,
दिल के कोने में इतनी सी जगह रखना,
के खाली-खाली सा लगे जब हम न हों।

ज़ुबां तो बन्द है फिर भी हम बात करते हैं,
दूर रहकर भी सदा तेरे पास रहते हैं,
आँखोँ से बहे अश्क तो दिल ये कहता है,
तूं न रोना फिर कभी, तेरे साथ हम रहते हैं।

नाराज़ होना आपसे, गलती कहलायेगी,
अगर आप हमसे नाराज़ हो गये तो....
ये सांसे थम जायेंगी
हंसते रहना हमेशा
आपकी हंसी से हमारी
जिन्दगी संवर जायेगी।

आप हर मंजिल को मुश्किल समझते हैं,
हम आपको मंजिल समझते हैं
बड़ा फर्क है आपके और हमारे नज़रिये में
आप हमें सपने और हम आपको अपने समझते हैं।

आप नहीं तो ज़िन्दगी में क्या रह जायेगा,
दूर तक तन्हाईयों का सिलसिला रह जायेगा
हर कदम पर साथ चलना मेरे दोस्त
वरना आपका ये दोस्त तन्हा रह जायेगा।

आपको दिल में बसाए रखता हूं,
और दुनियाँ को भुलाए रखता हूँ,
आपको मेरी नज़र न लग जाए,
इस लिए नज़रे झुकाए रखता हूं।

सारी उम्र आँखों में एक सपना याद रहेगा
ज़िन्दगी बीत जायेगी वो लम्हा याद रहेगा
जाने क्या बात ठीक उन दोस्तों में
महफिल भूल जाय6गें बस वो दोसताना याद रहेगा।

तकदीर ने चाहा तकदीर ने बताया
तकदीर ने आपको और हमको मिलाया
खुशनसीब थे हम या वो पल
जब आप सा अनमोल दोस्त
इस जिन्दगी में आया

कभी खामोशी भी बहुत कुछ कहाँ जाती है
तड़फने के लिए सिर्फ याद रह जाती है
क्या फर्क पड़ता है दिल हो या कागज़
जलने के बाद तो सिर्फ राख रह जाती है।

इश्क ने इंसान को क्या से क्या बना दिया
किसी को कवि तो किसी को कातिल बना दिया
दो फूलों को भी ना उठा सकती ठीक मुमताज
और शांहजां ने उस पर ताजमहल बना दिया।

हौंठों पे दिल के तराने नहीं आते
साहिल पे समन्दर के फसाने नहीं आते
नींद में भी खुल जाती हैं पलकें
आँखों को ख्वाब छुपाने नहीं आते।

फिज़ा पर असर हवाओं का होता है
मुहब्बत पर असर अदाओं का होता है
कोई ऐसे ही किसी का दिवाना नहीं होता
कुछ तो कसूर निगाहों का होता है।

देखो तो ख्वाब है ज़िन्दगी,
पढ़ो तो किताब है ज़िन्दगी।
सुनो तो ज्ञान है ज़िन्दगी,
हंसते रहो तो आसान है ज़िन्दगी,
और प्यार से जीने का नाम है ज़िन्दगी।

कोई है जो दुआ करता है,
अपनों में हमें भी गिना करता है।
बहुत खुशनसीब समझते हैं हम खुद को,
दूर रहकर भी जब कोई याद किया करता है।

मेरे दिल की किताब को पढ़ना कभी,
सपनों में आके मुझसे मिलना कभी।
मैंने दुनियाँ सजाई है तेरे लिए,
मेरी नज़रों की उम्मीद बनना कभी।

बहुत दूर है सितारों से रोशन जहां,
जरा हम कदम बन के मेरे साथ चलना कभी।
बहुत नाज़ुक सीने में दिल है मेरा,
तुम अन्दाज़-ए-मुहब्बत बनके धड़कना कभी।

रात होगी तो चाँद दिखाई देगा,
ख्वाबों में आपको मेरा ही चेहरा दिखाई देगा।
ये मुहब्बत है जरा सोच कर करना,
एक आँसु भी गिरा तो सुनाई देगा।

मिले हर जन्म में आप सा यार,
दुआ करते हैं रब से बार-बार,
चाहे क्यों न ठुकरा दे हमें ये दुनियां,
पर मिलता रहे आप जैसे दोस्तों का प्यार।

दोस्त का प्यार किसी दुआ से कम नहीं होता,
दोस्त चाहे कितनी भी दूर हो गम नहीं होता,
प्यार में अक्सर दोस्ती कम हो जाती है,
पर दोस्ती में प्यार कभी कम नहीं होता।

आप नहीं तो जिन्दगी में क्या रह जायेगा,
दूर तक तन्हाईयों का सिलसिला रह जायेगा,
हर कदम पर मेरे साथ चलना दोस्त,
वरना आपका ये दोस्त तन्हा रह जायेगा।

बहते अश्कों की ज़ुबान नहीं होती,

लफ़्ज़ों में मोहब्बत बयां नहीं होती,

मिले जो प्यार, तो कदर करना,

किस्मत हर किसी पर मेहरबां नहीं होती।

संतोष का पुरस्कार

आसफउद्दौला नेक बादशाह था। जो भी उसके सामने हाथ फैलाता, वह उसकी झोली भर देता था। एक दिन उसने एक फकीर को गाते सुना- जिसको न दे मौला उसे दे आसफउद्दौला। बादशाह खुश हुआ। उसने फकीर को बुलाकर एक बड़ा तरबूज दिया। फकीर ने तरबूज ले लिया, मगर वह दुखी था। उसने सोचा- तरबूज तो कहीं भी मिल जाएगा। बादशाह को कुछ मूल्यवान चीज देनी चाहिए थी।
थोड़ी देर बाद एक और फकीर गाता हुआ बादशाह के पास से गुजरा। उसके बोल थे- मौला दिलवाए तो मिल जाए, मौला दिलवाए तो मिल जाए। आसफउद्दौला को अच्छा नहीं लगा। उसने फकीर को बेमन से दो आने दिए। फकीर ने दो आने लिए और झूमता हुआ चल दिया। दोनों फकीरों की रास्ते में भेंट हुई। उन्होंने एक दूसरे से पूछा, 'बादशाह ने क्या दिया?' पहले ने निराश स्वर में कहा,' सिर्फ यह तरबूज मिला है।' दूसरे ने खुश होकर बताया,' मुझे दो आने मिले हैं।' 'तुम ही फायदे में रहे भाई', पहले फकीर ने कहा।
दूसरा फकीर बोला, 'जो मौला ने दिया ठीक है।' पहले फकीर ने वह तरबूज दूसरे फकीर को दो आने में बेच दिया। दूसरा फकीर तरबूज लेकर बहुत खुश हुआ। वह खुशी-खुशी अपने ठिकाने पहुंचा। उसने तरबूज काटा तो उसकी आंखें फटी रह गईं। उसमें हीरे जवाहरात भरे थे। कुछ दिन बाद पहला फकीर फिर आसफउद्दौला से खैरात मांगने गया। बादशाह ने फकीर को पहचान लिया। वह बोला, 'तुम अब भी मांगते हो? उस दिन तरबूज दिया था वह कैसा निकला?' फकीर ने कहा, 'मैंने उसे दो आने में बेच दिया था।' बादशाह ने कहा, 'भले आदमी उसमें मैंने तुम्हारे लिए हीरे जवाहरात भरे थे, पर तुमने उसे बेच दिया। तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि तुम्हारे पास संतोष नहीं है। अगर तुमने संतोष करना सीखा होता तो तुम्हें वह सब कुछ मिल जाता जो तुमने सोचा भी नहीं था। लेकिन तुम्हें तरबूज से संतोष नहीं हुआ। तुम और की उम्मीद करने लगे। जबकि तुम्हारे बाद आने वाले फकीर को संतोष करने का पुरस्कार मिला।'