Friday, November 26, 2010

पर ये ना सोचना की तेरे लबों को हंसी ना दे सकेंगे

नहीं कहते तुझे हर पल खुशियाँ दे सकेंगे*****

कैसे कहें तेरी पलकों को नमी ना दे सकेंगे*****

ज़िन्दगी में सुख है गर तो दुःख भी आयेंगे*****

पर ये ना सोचना की तेरे लबों को हंसी ना दे सकेंगे*****

यूँ तो हर पल – हर घडी ये ज़िन्दगी कट रही है*****

मौत के आसमां से श्वांसों की घटा छट रही है*****

तुम संग होते तो, लगता के साहिल संग है, वरना*****

जीवन नदी बस कल-आज-कल में कल-कल बह रही है*****

नहीं कहते की इस जीवन नदी को कोई रुख ना दे सकेंगे*****

तुम बनके तो देखो सागर, फिर कैसे ना मिल सकेंगे*****

पर ये ना सोचना की तेरे लबों को हंसी ना दे सकेंगे*****

Saturday, November 13, 2010

मैं पहुँचकर शिखर पर अकेला पड़ गया हूँ माँ

वो प्यार भरी थपकी वो माथे पे चुम्बन तेरा
ऐ माँ अभी तेरी परछाईं मेरी आँखों में बाक़ी है।

वो हर रात सुनाना एक मीठी सी लोरी
उसकी मिठास अब भी मेरी सांसों में बाक़ी है।

वो तेरे होंठों की लम्स तेरे सांसों की खुशबू
ये एह्सास अब भी मेरी यादों में बाक़ी है।

मैं पहुँचकर शिखर पर अकेला पड़ गया हूँ
पर तेरी दुआओं का असर मेरी राहों में बाक़ी है।


ऐ “राज” अब दर्द पाकर मुझे एहसास होता है
तेरी ममता का वो दर्द मेरी आहों में बाक़ी है।


Friday, November 12, 2010

आज का विचार

> दूसरों में आदर्श ढूँढना वक्त की बर्बादी करना है।

>पैसे से खुशियाँ नहीं ख़रीदी जा सकती लेकिन वो बहुत सारी तक़लीफ़ों को कम कर देता है।

>अमीर होते हुए गरीबी का एहसास होना नामुमकिन है, लेकिन गरीब न होते हुए भी गरीबी का एहसास होना मुमकिन है।

>मुझे इस बात पर बहुत कम अफ़सोस हुआ कि मैं मौन क्‍यों रहा, लेकिन इस बात का कई बार अफ़सोस हुआ कि मैं बोला क्‍यों।

>ख़ुद को बदल लेना चाहिए, इससे पहले कि समय आपको बदले।

>गुस्‍से का मतलब है, दूसरों की गलती का अपने से बदला लेना।

>जो लोग सोचते नहीं हैं, वे शोचनीय हो जाते हैं।

>जो समय पर चल पड़ते हैं, उन्‍हें दौड़ना नहीं पड़ता।

>हारना उतना शर्मनाक नहीं होता जितना हार मान लेना।

>सीखने और मरने की कोई उम्र नहीं होती।

>जो लोग शर्तों पर शुरूआत करने की सोचते हैं, वे कभी कोई शुरूआत नहीं कर पाते।

>महत्‍वपूर्ण ये नहीं है कि आपके कितने मित्र हैं, महत्‍वपूर्ण ये है कि आप कितनों के मित्र हैं।

Thursday, November 11, 2010

मतलबी हैं लोग

सबको अपना माना तूने मगर ये न जाना…
मतलबी हैं लोग यहाँ पर मतलबी ज़माना
मतलबी हैं लोग यहाँ पर मतलबी ज़माना
सोचा साया साथ देगा निकला वो भी बेग़ाना
खुशियाँ चुरा के गुज़रे वो दिन
काँटे चुभा के बिछड़े वो दिन
बहते ही आंसू कहने लगे
बहते ही आंसू कहने लगे
ये क्या हुआ ये क्यूँ हुआ कैसे हुआ मैने न जाना
मतलबी हैं लोग यहाँ पर मतलबी ज़माना
आपनो में मैं बेग़ाना बेग़ाना
ज़िन्दा है लेकिन मुर्दा ज़मीं है
जीने के काबिल दुनिया नही है
दुनिया को ठोकर क्यूँ न लगा दूँ
खुद अपनी हस्ती क्यूँ ना मिटा दूँ
जी के यहाँ जी भर गया
दिल अब तौ मरने के ढूडे बहाना
मतलबी हैं लोग यह पर मतलबी ज़माना
सोचा साया साथ देगा निकला वो भी बेग़ाना

माता-पिता

भगवान के दो रूप निराले,
माता-पिता के नाम वाले।
माता-पिता की क्या बटाऊ महिमा,
इनके प्यार की कोई नही सीमा।
माता पिता है क्षमा की मूर्ति,
इनकी कमी की नही करसकता कोइ पूर्ति।
इन्होने की हमारे लिये अपनी खुशियाँ कुर्बन,
हमे ईश्वर के रूप में करना है इनका गुणगान।
अगर हम लैगे जन्म हज़ार,
तब भी नही चुका सकते इनका ऋण अपार।
जिनको मिल माता -पिता के रूप में भगवान,
संसार की खुशनसीब है वो सन्तान।