Friday, November 26, 2010

पर ये ना सोचना की तेरे लबों को हंसी ना दे सकेंगे

नहीं कहते तुझे हर पल खुशियाँ दे सकेंगे*****

कैसे कहें तेरी पलकों को नमी ना दे सकेंगे*****

ज़िन्दगी में सुख है गर तो दुःख भी आयेंगे*****

पर ये ना सोचना की तेरे लबों को हंसी ना दे सकेंगे*****

यूँ तो हर पल – हर घडी ये ज़िन्दगी कट रही है*****

मौत के आसमां से श्वांसों की घटा छट रही है*****

तुम संग होते तो, लगता के साहिल संग है, वरना*****

जीवन नदी बस कल-आज-कल में कल-कल बह रही है*****

नहीं कहते की इस जीवन नदी को कोई रुख ना दे सकेंगे*****

तुम बनके तो देखो सागर, फिर कैसे ना मिल सकेंगे*****

पर ये ना सोचना की तेरे लबों को हंसी ना दे सकेंगे*****

1 comment:

  1. बहुत ही सुन्‍दर पंक्तियां ।

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