Saturday, September 28, 2019

 अच्छे विचार/अनमोल वचन

1. भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के ही सारथि नही थे वे तो पूरे विश्व के सारथि हैं, फिर डर किसका

2. किसी भी कार्य के पर्याय बन जाओ प्रसिद्धि अवश्य मिल जाएगी.

3. जीवन में लक्ष्य ज़रूर निर्धारित करो लक्ष्य मिलने पर आकार बड़ा कर दो.

4. शरीर में जीतने छेद हैं सबसे गंदगी ही निकलती हैं इसमे मुँह का क्या दोष

5. फल की इच्छा रखने वाले फूल नही तोड़ा करते.

6. शब्द दुख और सुख में अक्षर ख को देखो हमेशा एकसा दिखता है फिर हम क्यों नही

7. आलोचना मुझें प्रेरित करती हैं कुछ और अच्छा करने की.

8. वर्तमान की दिशा भविष्य की दशा तय करती है.

9. जोखिम उठाने वालो के लिये असफलता एक उपहार हैं.

10.घमण्ड के अंदर सबसे बुरी बात यह होती है कि
वो आपको कभी महसूस होने नहीं देगा कि
“आप गलत हो”

11.पैसा हैसियत बदल सकता है औकात नहीं

12.दूसरों के बारे में उतना ही बोलो जितना खुद के बारे में सुन सको

13बुद्धि जिसके पास है उसी के पास बल होता है – हाथी जैसे विशाल जानवर को एक छोटे से अंकुश से वश में किया जा सकता है ये इसी बात का प्रमाण है कि बुद्धि और तेज में ज्यादा शक्ति होती है। 

14.अँधेरा चाहे कितना भी घना हो लेकिन एक छोटा सा दीपक अँधेरे को चीरकर प्रकाश फैला देता है वैसे ही जीवन में चाहे कितना भी अँधेरा हो जाये विवेक रूपी प्रकाश अन्धकार को मिटा देता है

15.वज्र पर्वत से बहुत छोटा है लेकिन वज्र के प्रभाव से बड़े से बड़े पर्वत भी चकनाचूर हो जाते हैं.

16.नीम के पेड़ को अगर दूध और घी से भी सींचा जाये तो भी नीम का वृक्ष मीठा नहीं हो जाता, उसी प्रकार दुष्ट व्यक्ति को कितना भी ज्ञान दे दो वो अपनी दुष्टता नहीं त्यागता.

16.जिसने अपनी इच्छाओं पर काबू पा लिया, उस मनुष्य ने जीवन के दुखों पर काबू पा लिया

17.संकट के समय धैर्य धारण करना सीखो 

18.बिना कुछ किये ज़िन्दगी गुज़ार देने से कहीं अच्छा है ज़िन्दगी को गलतियां करते गुज़ार देना

19.पाप एक प्रकार का अँधेरा है, जो ज्ञान का प्रकाश होते ही मिट जाता है

20.क्रोध हमेशा मनुष्य को तब आता है जब वह अपने आप को कमज़ोर और हारा हुआ पाता है

21.लगातार हो रही असफलताओं से निराश नही होना चाहिये कभी कभी गुच्छे की आखिरी चाभी ताला खोल देती है…..

22.पैर की मोच और छोटी सोच,हमें आगे बढ़ने नहीं देती

23.दुनिया में सब चीज मिल जाती है,केवल अपनी गलती नहीं मिलती…..

24.अपनी कमियाँ पूरी दुनिया से छिपाइए, लेकिन अपनी कमियाँ कभी खुद से मत छिपाइए अपनी कमियाँ खुद से छिपाने का मतलब होता है, अपने आप को खुद बर्बाद करना

25.मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मांगना क्योकि मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का..!! 

26.परिश्रम वह चाबी है जो सौभाग्य के द्वार खोलती है

27.मस्तक को थोड़ा झुकाकर देखिए आपका अभिमान मर जाएगा.

28.जिव्हा पर विराम लगा कर देखिए आपका क्लेश का कारवाँ गुज़र जाएगा

29.इच्छाओं को थोड़ा घटाकर देखिए आपको खुशियों का संसार नज़र आएगा

30.हाथ में घडी कोई भी हो, लेकिन वक़्त अपना होना चाहिए

31.मनुष्य को चाहिए कि दुराचारी, कुदृष्टि वाले, बुरे स्थान में रहने वाले और दुर्जन मनुष्य के साथ मित्रता न करें, क्योंकि इनके साथ मित्रता करने वाला मनुष्य शीघ्र ही नष्ट हो जाता है

32.विद्या के अलंकार से अलंकृत होने पर भी दुर्जन से दूर ही रहना चाहिए, क्योंकि मणि से भूषित होने पर भी क्या सर्प भयंकर नहीं होता

33.शत्रु को सदैव भ्रम में रखना चाहिए । जो उसका अप्रिय करना चाहते हो तो उसके साथ सदा मधुर व्यवहार करो, उसके साथ मीठा बोलो । शिकारी जब हिरण का शिकार करता है तो मधुर गीत गाकर उसे रिझाता है, और जब वह निकट आ जाता है, तब वह उसे पकड लेता है

34.पेड़ कभी डाली काटने से नहीं सूखता
पेड़ हमेशा जड़ काटने से सूखता है.वैसे ही इंसान अपने कर्म से नहींबल्कि अपने छोटी सोच और गलत व्यवहार से हारता है…… !!!! 

35.ध्यान रहे शिखर पर इंसान हमेशा अकेला होता है

36.आपके हाथों से कोई छीन सकता है लेकिन जो नसीब में है उसे कोई नहीं छीन सकता

37.आकाश से ऊँचा कौन – पिता धरती से बड़ा कौन – माता

38.प्रयास करने वाला इंसान एक बार गिरता है लेकिन प्रयास ना करने वाले लोग जीवन भर गिरते रहते हैं

39.दुःख में इंसान ईश्वर को याद करता है लेकिन सुख में इंसान ईश्वर को भूल जाता है।अगर सुख में भी इंसान ईश्वर के करीब रहे तो दुःख ही क्यों हो

40.पैसे से बिस्तर खरीदा जा सकता है, नींद नहीं
पैसे से महल खरीदा जा सकता है लेकिन खुशियाँ नहीं

41.जो इंसान दूसरों का दुःख दर्द समझता है वही महापुरुष है

42.“लोग क्या कहेंगे”- ये बात इंसान को आगे नहीं बढ़ने देती

43.कितने मूर्ख हैं हम भगवान के बनाए फलों को भगवान को ही अर्पण करके धन दौलत माँगने लगते हैं

44.जो लोग दूसरों का भला सोचते हैं केवल उन्हीं का जीवन सफल है, अपने लिए तो जानवर भी जीते हैं

45.मुस्कुराहट मन का बोझ हल्का कर देती है

46.कामयाब होने वाले इंसान हमेशा खुश रहते हैं और जो खुश रहते हैं वही कामयाब होते हैं

47.गुस्सा करना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा ही है  क्यूंकि आप जिसपे गुस्सा करते हैं उससे ज्यादा आपका खुद का नुकसान हो जाता है

48.ज्ञानी इंसान कभी घमण्ड नहीं करता और जिसे घमंड होता है ज्ञान उससे कोसों दूर रहता है

49.अमर वही इंसान होते हैं जो दुनियां को कुछ देकर जाते हैं

50.हर सफलता संघर्ष से होकर गुजरती है बिना संघर्ष के सफलता की कल्पना भी नहीं की जा सकती

51.मुस्कुराना एक कला है जिसने इस कला को सीख लिया वो जीवन में कभी दुखी हो ही नहीं सकता

52.जिनका कद ऊँचा होता है वो दूसरों से झुक कर ही बात करते हैं

53.इंसान अच्छा या बुरा नहीं होता बस वक्त अच्छा और बुरा होता है

54.त्याग दी सब ख्वाहिशें कुछ अलग करने के लिए
“राम” ने खोया बहुत कुछ“श्री राम” बनने के लिए 

55.जिस दिन आपने अपनी सोच बड़ी कर ली साहब
बड़े बड़े लोग आपके बारे में सोचना शुरू कर देंगे

56.कभी फुरसत में अपनी कमियों पर गौर करना
दूसरों का आईना बनने की ख्वाहिश मिट जायेगी

 

Priyatam Kumar Mishra

Thursday, September 19, 2019


माँ दुर्गा की महिमा और उनका रूप 

देवी दुर्गा हिंदू पौराणिक कथाओं में एक सबसे शक्तिशाली देवी है। हिंदू पौराणिक कथाओं में परोपकार और कृपाभाव को पूरा करने के लिए उन्हें विभिन्न रूपों में पूजा जाता है। वह उमा है "चमक " ,गौरी "सफेद या प्रतिभाशाली "; पार्वती, " पर्वतारोही "; या जगतमाता , " माँ -की दुनिया" उनका दानवो के लिए भयानक रूप है दुर्गा , काली,  चंडी , 

 

महिषासुर मर्दिनी बाघ पर सवार एक निडर रूप में जिसे अभय मुद्रा के नाम से जाना जाता है ,| भय से मुक्ति का आश्वासन देते हुए। जगतमाता अपने सभी भक्तो से कहती है " मुझ पर सभी कार्यों को समर्प्रित कर दो मैं तुम्हे सभी मुसीबतों से बचा लुंगी। दुर्गा माँ आठ या दस हाथ होने के रूप में वर्णित की गयी है । यह 8 हाथ चतुर्भागों या हिंदू धर्म में दस दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं । वह सभी दिशाओं से अपने भक्तों की रक्षा करती है।  


माँ के हाथों में- हथियार और अन्य 

• दुर्गा माँ के हाथ में शंख "प्रणवा " या " ॐ " का प्रतिक है,जिसकी ध्वनि भगवान की उपस्थिति का प्रतिक है ।
• धनुष और तीर ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते हैं । धनुष और तीर दोनों एक हाथ में पकड़ कर " माँ दुर्गा " यह दर्शा रही है ऊर्जा के दोनों रूपों पर नियंत्रण कैसे किया जाता है । -(क्षमता और गतिज)
• वज्र दृढ़ता का प्रतीक है। दुर्गा के भक्त वज्र की तरह शांत होने चाहिए किसी की प्रतिबद्धता में। व्रज की तरह वह सभी को तोड़ सकता है जिससे भी वह टकराता है।
• एक भक्त को अपने विश्वास को खोये बिना हर चुनौती का सामना करना चाहिए।
• दुर्गा माँ के हाथ में कमल पूरी तरह से खिला हुआ नहीं है ,यह सफलता नहीं बल्कि अन्तिम की निश्चितता का प्रतीक है। संस्कृत में कलम को "पंकजा" कहा `जाता है जिसका मतलब है कीचड़ में जन्मा हुआ। इस प्रकार, कमल वासना और लालच की सांसारिक कीचड़ के बीच श्रद्धालुओं का आध्यात्मिक गुणवत्ता के सतत विकास के लिए खड़ा है ।
• " सुदर्शन -चक्र " : एक सुंदर डिस्कस ,जो देवी की तर्जनी के चारों ओर घूमती है ,जब उसे नहीं छू ते है ,पूरी दुनिया दुर्गा की इच्छा के अधीन का प्रतीक है और उनके आदेश का भी। वह बुराई को नष्ट करने और धर्म के विकास के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण करने के लिए इस अमोघ हथियार का उपयोग करती है।
• तलवार : तलवार जो माँ दुर्गा एक हाथ में पकड़ती है वह ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है ,जो तेज़ होता है। सभी संदेहों से मुक्त है जो ज्ञान , तलवार की चमक का प्रतीक है।
• त्रिशूल : दुर्गा त्रिशूल या " त्रिशूल " तीन गुणों का प्रतीक है- सातवा ( निष्क्रियता ), राजस ( गतिविधि) और तामस (गैर गतिविधि)- और वह तीन प्रकार के दुःख मिटाती है शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक।




Priyatam Kumar Mishra