Wednesday, September 1, 2010

माँ हर पल तुम साथ हो मेरे मुझ को यह एहसास

माँ हर पल तुम साथ हो मेरे, मुझ को यह एहसास

हैआज तू बहुत दूर है मुझसे, पर दिल के बहुत पास है।

तुम्हारी यादों की वह अमूल्य धरोहर

आज भी मेरे साथ है,ज़िंदगी की हर जंग को जीतने के लिए,

अपने सर पर मुझे महसूस होता आज भी तेरा हाथ है।

कैसे भूल सकती हूँ माँ मैं आपके हाथों का स्नेह,

जिन्होने डाला था मेरे मुंह में पहला निवाला,

लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में,

दुनिया की राहों में मेरा पहला क़दम था जो डाला

जाने अनजाने माफ़ किया था मेरी हर ग़लती को,

हर शरारत को हँस के भुलाया था,

दुनिया हो जाए चाहे कितनी पराई,

पर तुमने मुझे कभी नही किया पराया था,

दिल जब भी भटका जीवन के सेहरा में,

तेरे प्यार ने ही नयी राह को दिखाया था

ज़िंदगी जब भी उदास हो कर तन्हा हो आई,

माँ तेरे आँचल ने ही मुझे अपने में छिपाया था

आज नही हो तुम जिस्म से साथ मेरे,पर अपनी बातो से ,

अपनी अमूल्य यादो सेतुम हर पल आज भी मेरे साथ हो..........

क्योंकि माँ कभी ख़त्म नही होती .........

तुम तो आज भी हर पल मेरे ही पास हो.........

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