Monday, July 12, 2010
कैसे और कहां से निकलती है जान?
मौत कड़वा किन्तु अटल सत्य। दुनिया में शायद ही कोई हो जो मरना चाहता हो, जबकि सब अच्छी तरह जानते हैं कि इससे आज तक कोई भी बच नहीं सका। मौत होती है यह तो सभी जानते हैं किन्तु, कैसे और क्या हेाती है मौत? आज तक यह नहीं सुना गया कि कोई हंसते हुए मरा हो। इसीलिये यह कहना ज्यादा उचित है कि रोते हुए आते हैं सब और मौन होकर चले जाते हैं। कुछ कालजयी लोग इस दुनिया में ऐसे होते रहे हैं जो जन्म-मृत्यु के पार देखने में समर्थ होते हैं। ऐसे ही सिद्ध लोगों में शामिल योगीराज अरविंद मौत के विषय बड़ी ही रौचक बातें बताते हुए कहते हैं कि-बेंहोसी में.... बीमारी, आघात या अन्य जिस भी कारण से मृत्यु हो रही हो तो उससे भी कष्ट यानि तकलीफ अवश्य होती है। मरने से पहले हर प्राणी को अपार कष्ट होता है किन्तु उस अवस्था में वह कुछ बोल नहीं पाता। जब प्राण या जान या आत्मा निकलने का समय बिल्कुल नजदीक आ जाता है तो प्राणी एक प्रकार की बेहोंशी में चला जाता है और इस अचेत अवस्था में ही आत्मा शरीर से बाहर निकल जाती है।आम रास्ता: अधिकांशत: शरीर के ऊपर के हिस्सों या अंगों से ही प्राण या आत्मा निकलती है। मुख, आंख, कान या नाक ही आत्मा के निकलने के प्रमुख मार्ग हैं।पापियों की जान: दुष्ट, पापी एवं दुराचारी (बुरे कर्म करने वाले)लोगों की आत्मा मल-मूत्र के रास्ते से निकलता देखा गया है। योगी की आत्मा: जबकि योग की उच्च अवस्था में पहुंचे हुए सिद्ध योगी ब्रह्मरंध्र से प्राणों का त्याग करेंगे।
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