Tuesday, July 13, 2010

पूर्ण सुखी बनने के तीन रास्ते

सफलता की गयारंटी हैं ये नौ गुण..... कहावत तो यह है कि इस कलियुग में कोई भी पूर्ण सुखी नहीं है, किन्तु इस बात से यह सिद्ध नहीं हो जाता कि ऐसा होना संभव ही नहीं है। सारी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ इंसानों ने पूर्ण सुख का सुनिश्चित मार्ग खोज निकाला है। इंसान के पूर्ण सुखी होने के उस राज मार्ग का नाम है- अध्यात्म। अध्यात्म के अनुसार जीवन की प्रमुख दिशाएं तीन होती हैं (1) आत्मिक (2) बौद्धिक, (3) सांसारिक। इन तीनों दिशाओं में आत्म-बल बढऩे से आनन्दायक परिणाम प्राप्त होते हैं । इन तीनों दिशाओं में तीन-तीन लक्षण ऐसे दिखाई पड़ते हैं जिनसे जीवन सर्व सुखी बन जाता है। इन नौ सम्पदाओं को नव निधि भी कह सकते हैं। सिद्धियां देवताओं को प्राप्त होती हैं, ऋद्धियां असुरों को मिलती हैं और निधियां मनु की सन्तान मानव प्राणी को यानि कि हम इंसानों को प्राप्त होती हैं।
आत्मिक क्षेत्र की तीन निधियां (1) विवेक, (2) पवित्रता (3)शान्ति हैं। बौद्धिक क्षेत्र की और सांसारिक क्षेत्र की तीन निधियां (1) साहस, (2) स्थिरता, (3) कर्तव्यनिष्ठा हैं और सांसारिक क्षेत्र की तीन निधियां (1) स्वास्थ्य,(2) समृद्धि,(3) सहयोग हैं। यह नौ लक्षण जीवन की सफ लता के आधार स्तंभ हैं। इन्हीं नौ गुणों को ब्राह्मण के नव गुण बताया है। भगवान् रामचन्द्रजी ने धनुष तोडऩे पर क्रोधित परशुराम जी से उनके नव गुणों की प्रशंसा करके उन्हें प्रसन्न किया था।

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