Saturday, July 17, 2010
मौत से इंसान डरता क्यों है?
दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य ही यह है कि मनुष्य अपनी मृत्यु को भूला रहता है। एक दिन अचानक मौत को सामने देखकर इंसान को बड़ी तकलीफ होती है। मौत को भूले रहना और उससे घबराना दोनों ही मनुष्य की अज्ञानाता यानि नासमझी का परिणाम है। जबकि मृत्यु कभी न भुलाने वाला सुन्दर और अनिवार्य सच है। आइये देखते हैं कि मौत हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है:--इंसान व अन्य सभी जीवों का स्थूल शरीर मात्र पैकिंग हैं और उसमें रहने वाला सूक्ष्म शरीर यानि कि आत्मा उस पैकिंग में छुपी हुई बहुमूल्य निधि है। - किसी भी अति प्रिय मनुष्य, वस्तु, पशु-पक्षी आदि के बिछुडऩे पर अथाह वेदना यानि कि कष्ट होता है जबकि एसा होना तो निश्चित ही था। ऐसा हर जन्म में कई बार हो चुका है। - अपनी असली पहचान यानि कि आत्मज्ञान न होने के कारण ही संसारिक मनुष्य अपनी मृत्यु से अथाह भयभीत होता है।- शरीर छोड़ते हुए जीव करूण रुदन करता है। मार्मिक दृष्टि से देखता है, कि कोई उसे मृत्यु से बचा ले,किंतु जो स्वयं को ही नहीं बचा पायेगा,उसे कैसे बचा लेगा?- यदि किसी को पूर्व जन्म याद रह जाए तो प्रारम्भ में कष्ट होता है किंतु बाद में वह शरीर यानि कि पैकिंग के अनुसार ढल जाता है और उसके अनुसार ही जीवन जीने लगता है।- मौत के बाद की यात्रा में कोई भी जीव या वस्तु साथ नहीं जाती है और न ही मृत्यु से बचा सकती है।
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